चंद्रयान-3 में लखनऊ की महिला सांइटिस्ट ऋतु करिधाल निभा रही हैं अहम भूमिका

KNEWS DESK… भारत के लिए आज का दिन बहुत ही अधिक अहम माना जा रहा है जिसके चलते पूरी दुलिया भी भारत पर नजर बनाए हुए है। आज भारत श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से दोपहर 2:35 बजे चंद्रयान-3 की लंचिंग करेगा। लखनऊ निवासी राकेट वुमन नाम से मशबूर सांइटिस्ट कर रही हैं।

चंद्रयान-3 के लैंडर, रोवर और प्रोपल्शन माॅड्यूल में कुल मिलाकर छह पेलोड्स जा रहे हैं। इसमें सबसे खास बात यह है कि इस मिशन को फ्रंट से लीड कर रही हैं “राकेट वुमन” के नाम से मशहूर स्पेस सांइटिस्ट ऋतु करिधाल श्रीवास्तव कर रही हैं। जानकारी के लिए बता दें कि महिला सांइटिस्ट ऋतु करिधाल को चंद्रयान-3 की लैंडिंग की जिम्मेदारी दी गई है। ऋतु करिधाल चंद्रयान -3 की मिशन डायरेक्टर के रूप में अपनी अहम भूमिका निभाएंगी। लखनऊ की निवासी महिला साइंटिस्ट ऋतु करिधाल विज्ञान की दुनिया में भारतीय महिलाओं की बढ़ती धाक की मिशाल है। मंगलयान मिशन में अपनी कुशलता दिखा चुकी ऋतु करिधाल चंद्रयान-3 के साथ कामयाबी की एक औऱ उड़ान भरेंगी। महिला सांइटिस्ट ऋतु करिधाल श्रीवास्तव को यह अहम जिम्मेदारी पहले के मिशन में उनकी भूमिका को मद्देनजर रखते हुए सौंपी गई है। गौरबतल हो कि करिधाल मंगलयान की डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर रह चुकी हैं। लखनऊ की बेटी ऋतु करिधाल उस समय में चर्चा में आई । जब चंद्रयान -मिशन-2 में ऋतु ने मिशन डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाली थी।

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ऋतु को यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी मिल चुका

जानकारी के लिए बता दें कि ऋतु करिधाल लखनऊ में ही पली बढ़ी हैं। करिधाल ने लखनऊ यूनिवर्सिटी से भौतिकी में M.sc. की थी। विज्ञान और अंतरिक्ष में रूचि को देखते हुए करिधाल ने इसके बाद बेंगलुरू के भारतीय विज्ञान संस्थान में प्रवेश लिया। जिसके बाद ऋतु करिधाल ने ISRO में नौकरी की शुरूआत की।  एयरोस्पेस में विशेषज्ञता हासिल करने वाली ऋतु का पूरा करियर उपलब्धियों से भरा रहा है।2007 में ऋतु को यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड भी मिल चुका है. अलग-अलग मिशन में उनकी भूमिका को लेकर देश के प्रमुख अंतरिक्ष विज्ञानियों में उनका नाम शामिल है। ऋतु को ‘रॉकेट वुमन’ भी कहा जाता है।

शुरूआती पढ़ाई लखनऊ से की

ऋतु की स्कूली शिक्षा नवयुग कन्या महाविद्यालय से हुई है. ऋतु ने लखनऊ विश्वविद्यालय से फिजिक्स में ग्रेजुएशन किया। 6 महीने की रिसर्च करने के बाद उन्होंनें गेट निकाल लिया। ऋतु ने साल 1997 में ISRO के साथ काम करना शुरू किया था।

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कई मिशनों में अहम भूमिका निभा चुकी हैं 

ऋतु करिधाल मिशन मंगलायन और मिशन चन्द्रयान-2 में अहम भूमिका निभा चुकी हैं। बचपन से ही ऋतु करिधाल को अंतरिक्ष और स्पेस साइंस में रुचि थी। ऋतु को मिले पुरस्कारों की सूची भी उनकी उपलब्धियों की तरह ही लंबी है। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम युवा वैज्ञानिक पुरस्कार, मार्स आर्बिट्रेटर मिशन के लिए इसरो टीम पुरस्कार, ASI टीम पुरस्कार, सोसाइटी ऑफ इंडियन एरोस्पेस टेक्नोलॉजी एंड इंडस्ट्रीज द्वारा एरोस्पेस महिला उपलब्धि पुरस्कार हासिल करने वाली ऋतु अपनी लगन और काम के प्रति जुनून के लिए अपने साथियों में जानी जाती हैं।

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लैंडर और रोवर को चंद्रमा की कक्षा तक लेकर जाएगा

गौरबतल हो कि चंद्रयान-3 में इस बार ऑर्बिटर नहीं भेजा जा रहा है। इस बार स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल भेज रहे हैं। यह लैंडर और रोवर को चंद्रमा की कक्षा तक लेकर जाएगा। इसके बाद यह चंद्रमा के चारों तरफ 100 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में चक्कर लगाता रहेगा। इसे ऑर्बिटर इसलिए नहीं बुलाते क्योंकि यह चंद्रमा की स्टडी नहीं करेगा। इसका वजन 2145.01 किलोग्राम होगा, जिसमें 1696.39 K.G. ईंधन होगा। यानी मॉड्यूल का असली वजन 448.62 K.G. है।

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