मुख्तार का बसपा से पत्ता साफ

बाहुबली मुख्तार अंसारी से मायावती ने किनारा कर लिया है। ये वही मुख्तार है जिसके मयार के दम पर कभी बीएसपी पूर्वांचल में ताल ठोंकती थी, लेकिन योगी सरकार की चाबुक चलने के बाद जबसे मुख्तार के दुर्दिन आए तब से मायावती ने भी पार्टी को पाक साफ बताकर बयान जारी करने में देर नहीं की और कहा कि मुख्तार ही नहीं किसी भी अपराधी को बसपा 2022 के चुनाव में टिकट नहीं देगी और न ही पार्टी में किसी प्रकार की जगह दी जाएगी। मायावती के इस बयान से उस कहावत की बू आती है कि गुड़ खाए और गुलगुले से परहेज करें, क्योंकि मुख्तार के भाई अफजल अंसारी अभी भी उनकी पार्टी से सांसद हैं। वहीं दूसरी ओर माफिया से दूर रहने का दावा करने वाली समाजवादी पार्टी में मुख्तार के बड़े भाई हिगबतउल्लाह शामिल हो चुके हैं तो वहीं मुख्तार की पत्नी अफशां को एआईआईएम ने मऊ से उम्मीदवार बनाने की घोषणा की है। तो दूसरी ओर अखिलेश ने बैण्डिट क्वीन के नाम से मशहूर रही डकैत फूलन देवी की प्रतिमा के अनावरण की घोषणा की है। एक दौर था जब डकैत और अपराधियों का सपा पार्टी ठिकाना हुआ करती थी लेकिन आज सभी दल अपराधियों और माफिया से किनारा कर पार्टियों की छवि को साफ सुथरा दिखाने का असफल प्रयास करती दिखाई दे रही हैं। अब देखने वाली बात ये होगी कि 2022 के चुनाव में उनकी ये छवि कितना लाभ देती है।

भीम राजभर होंगे बीएसपी के मऊ प्रत्याशी

उत्तर प्रदेश में बसपा से बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की छुट्‌टी हो गई है। मायावती ने उनका टिकट काटकर मऊ सदर सीट से बसपा प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर का नाम फाइनल कर दिया है। मायावती ने यह भी कहा कि विधानसभा चुनाव में किसी भी माफिया को टिकट नहीं दिया जाएगा। हाल ही में मुख्तार के बड़े भाई सिबगतुल्लाह ने समाजवादी पार्टी जॉइन की है। तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि मुख्तार पर कार्रवाई संभव है। सूत्रों का कहना है कि बसपा सांसद अफजाल अंसारी पर भी कार्रवाई की गाज गिर सकती है। माफिया से दूरी को लेकर विपक्षी पार्टियों के बयान भी सामने आ रहे हैं। ये वही भीम राजभर हैं जिन्हें 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने मऊ सदर विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था। यह बसपा के लिए कठिन दौर था, क्योंकि उसी समय बसपा में रहे बाहुबली अंसारी बंधु मुख्तार व अफजाल ने बगावत कर कौमी एकता दल का गठन किया था। इससे पूर्वांचल की राजनीति काफी प्रभावित हुई थी। मुख्तार अंसारी ने अपने दल से चुनाव लड़ा और बसपा के प्रत्याशी भीम राजभर को 5,904 वोटों से मात दी थी। इस सीट पर मुस्लिमों के निर्णायक होने के बावजूद अच्छी लड़ाई लड़ी थी। उसके बाद राजभर को आजमगढ़ मंडल का जोनल कोआर्डिनेटर बनाया गया था।

शिवपाल ने जताई थी नाराजगी

सपा में मुख्तार अंसारी के भाई के शामिल होने पर शिवपाल ने भी नाराजगी जताते हुए तंज कसा। अखिलेश के चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल यादव का कहना है कि SP में माफियाओं की एंट्री नहीं होनी चाहिए। शिवपाल ने कहा कि जब तक वह समाजवादी पार्टी में थे, तबतक इस तरह के लोगों को कभी भी प्रवेश नहीं करवाया गया। शिवपाल यादव ने कहा कि जब मैं प्रदेश अध्यक्ष था, तब कोई माफिया हमारे पास नहीं आया। किसी भी माफिया को समाजवादी पार्टी में नहीं लेना चाहिए। विधानसभा चुनाव की दस्तक होते ही सभी पार्टियां अपने आपको साफ सुथरा और माफिया रहित बताने का प्रयास कर रही हैं लेकिन कहीं न कहीं इन पार्टियों का अतीत और वर्तमान इन्हें क्लीन चिट नहीं दे रहा है। अब देखना होगा कि पार्टियों को दिखावे का कितना लाभ चुनाव में मिलेगा।

 

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