देश हथियाने के बाद तालिबान का रुख

तालिबान ने 15 अगस्त को पंजशीर को छोड़कर पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद सात सितंबर को तालिबान ने अंतरिम सरकार का एलान किया था। मंत्रिमंडल की घोषणा होने के एक दिन बाद बुधवार को अखुंद ने कहा था, “हमने अफगानिस्तान में इस ऐतिहासिक क्षण को देखने के लिए भारी कीमत चुकाई है। अखुंद ने कहा था, “हम पिछली सरकारों के अधिकारियों से देश लौटने की अपील करते हैं और हम उन्हें पूर्ण सुरक्षा देंगे। हमारे पास अब युद्ध से तबाह अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण की एक बड़ी जिम्मेदारी है। अल-जज़ीरा समाचार चैनल के अनुसार, अखुंद ने कहा था कि अफगानिस्तान में रक्तपात का दौर समाप्त हो गया है। इसने कहा कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने 2001 में अमेरिका के नेतृत्व में हुए हमले के बाद पिछली सरकारों के साथ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए तालिबान के माफी के वादे को दोहराया था। लेकिन जो सबसे बड़ी बात इन सबके बीच सामने आ रही है वो है अफगानिस्तान की नई सरकार के मंत्रियों के शपथ लेने के दिने को लेकर। अफगानिस्तान के मन्त्री 11 सितंबर को शपथ ले सकते हैं। आपको याद होगा ये वही दिन है जिस दिन अमेरिका पर हुए 9/11 हमले की 20वीं बरसी है। देखिए खास रिपोर्ट,,,

अखुंदजादा करेगा सरकार का नेतृत्व

तालिबान के एक प्रवक्ता के हवाले से टोलो न्यूज ने बताया कि नई सरकार का नेतृत्व विद्रोही समूह के प्रमुख मुल्ला हिबतुल्ला अखुंदजादा द्वारा किया जाएगा। प्रवक्ता ने अंतरिम सरकार में मुल्ला हिबतुल्लाह के पदनाम या राज्य के मामलों में उसकी भूमिका का खुलासा नहीं किया। तालिबान की अंतरिम सरकार के कम से कम 14 सदस्यों के नाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आतंकवाद संबंधी काली सूची में शामिल हैं, जिनमें कार्यवाहक प्रधान मंत्री और दोनों उप-प्रधानमंत्रियों के नाम भी हैं। वैश्विक आतंकवादी के रूप में घोषित सिराजुद्दीन हक्कानी पर एक करोड़ डॉलर का का इनाम है, जिसे कार्यवाहक गृह मंत्री का पद मिला है। इस 33 सदस्यीय अंतरिम मंत्रिमंडल में “तालिबान फाइव” के रूप में जाने जाने वाले पांच नेताओं में से चार ऐसे नेता शामिल हैं, जिन्हें कभी ग्वांतानामो बे जेल में रखा गया था। इस बीच, अफगानिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और हिज्ब-ए-इस्लामी के नेता गुलबुद्दीन हिकमतयार ने तालिबान के नेतृत्व वाली अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार को बिना शर्त समर्थन की घोषणा की है। तालिबान के पूर्व अधिकारियों का हवाला देते हुए खामा न्यूज ने कहा कि उनका मानना ​​है कि अंतरिम मंत्रिमंडल छह महीने तक चलेगा और फिर आधिकारिक मंत्रिमंडल की घोषणा की जाएगी।

इसने यह भी कहा कि तालिबान अधिकारी और कतर एवं तुर्की के तकनीकी दल हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर काम करने में व्यस्त हैं। अगले तीन दिन में हवाईअड्डा अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाएगा।

बाईडन का 8 सितंबर को आया बयान

अफगान में सरकार गठन के बाद 8 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन का कहना था कि चीन को तालिबान के साथ ‘वास्तविक समस्या’ है, इसलिए वे तालिबान के साथ कुछ समझौता करने की कोशिश कर रहा है। तालिबान ने मंगलवार को कार्यवाहक सरकार के मंत्रिमंडल की घोषणा कर दी थी। तालिबान द्वारा अपनी अंतरिम सरकार की घोषणा के कुछ घंटों बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने तालिबान, चीन, रूस, पाकिस्तान और ईरान को लेकर बड़ा बयान दिया था। बाइडेन ने कहा था कि तालिबान के साथ चीन की कुछ समस्याएं हैं, इसलिए वे तालिबान के साथ कुछ समझौता करने की कोशिश कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति से पूछा गया था कि क्या उन्हें इस बात की चिंता है कि चीन तालिबान को धन मुहैया कराएगा। इस सवाल के जवाब में उन्होंने आगे कहा, जैसा पाकिस्तान करता है, वैसा ही रूस करता है, वैसा ईरान करता है। वे सभी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वे अब क्या करते हैं।

मन्त्रिमण्डल में तालिबान की शीर्ष हस्तियां ही शामिल

तालिबान के मंत्रिमंडल में अमेरिका नीत गठबंधन और अफगान सरकार के सहयोगियों के खिलाफ 20 साल तक चली जंग में दबदबा रखने वाली तालिबान की शीर्ष हस्तियों को शामिल किया गया है। तालिबान के पिछले शासन के अंतिम सालों में अखुंद ने अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर काबुल में तालिबान की सरकार का नेतृत्व किया था। अमेरिका के साथ वार्ता का नेतृत्व करने वाले मुल्ला गनी बरादर को उप प्रधानमंत्री बनाने का निर्णय लेगा। बरादर ने अमेरिका के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत अमेरिका पूरी तरह अफगानिस्तान से बाहर निकल गया था। इस सरकार में गैर-तालिबानियों को जगह दिए जाने की कोई जानकारी नहीं मिली है जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सबसे बड़ी मांग है कि अफगानिस्तान में समावेशी सरकार का गठन होना चाहिए। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने मंत्रिमंडल की घोषणा करते हुए कहा कि यह नियुक्तियां अंतरिम सरकार के लिए की गई हैं। उन्होंने यह नहीं बताया कि मंत्रिमंडल में शामिल लोगों का कार्यकाल कितना लंबा होगा और कैबिनेट में बदलाव के क्या मानदंड होंगे। अब तक, तालिबान ने चुनाव कराने का कोई संकेत नहीं दिया है।

 

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