बरेली में कांवड़ियों पर लाठीचार्ज मामला : SSP प्रभाकर समेत 3 पुलिसकर्मियों पर गिरी गाज, महिलाओं ने घाव दिखाकर बयां की बर्बरता

KNEWS DESK…. उत्तर प्रदेश के बरेली में पुराना शहर के मोहल्ला जोगी नवादा में कांवड़ यात्रा के दौरान रविवार को एक बार फिर से विवाद हो गया है। जिस दौरान पुलिस के द्वारा कांवरियों के ऊपर लाठीचार्ज कर दिया गया। जिसमें कई कांवरियों समेत स्थानीय महिलाएं भी घायल हो गई हैं। इतना ही नहीं स्थानीय महिलाओं का आरोप है कि पुलिस घरों में घुसकर राठीचार्ज कर रही थी। जिसको शासन ने गम्भीरता से लेते हुए बड़ी कार्यवाही की है।

दरअसल आपको बता दें कि 30 जुलाई यानी रविवार को कांवड़ यात्रा बरेली में पुराना शहर के मोहल्ला जोगी नवादा में निकाली जा रही थी। जिस दौरान विवाद हो गया जहां पर पुलिस के द्वारा कांवरियों के ऊपर लाठीचार्ज कर दिया गया। जिसका वीडियो शोसल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। जिसके चलते शासन के द्वारा कड़ी कार्रवाई करते हुए SSP प्रभाकर चौधरी का स्थानंतरण कर दिया है तो वहीं पर बारादरी थाने के इंस्पेक्टर अभिषेक सिंह और जोगी नवादा चौकी प्रभारी अमित कुमार को निलंबित कर दिया गया है।

कांवरियों पर लाठीचार्ज पर शासन ने की बड़ी कार्रवाई

जानकारी के लिए बता दें कि सुबह से चल रही बहस के बीच शाम 5 बजे SSP प्रभाकर चौधरी के नेतृत्व में पुलिस ने पहले सख्ती दिखाते हुए बलपूर्वक हटाया, फिर लाठीचार्ज करना पड़ा। SSP का दावा था कि अराजकतत्वों ने हवाई फायरिंग की, इस कारण लाठीचार्ज करना पड़ा। डीएम शिवाकांत द्विवेदी की मौजूदगी में हुए लाठीचार्ज में कांवड़ियों समेत कुछ महिलाएं भी घायल हुईं। कुछ लोगों को हिरासत में लेकर डीजे जब्त कर लिया गया। कांवड़ जत्थे में शामिल डीजे पर बजाए जा रहे गानों को लेकर पुलिस के आपत्ति करने से यह पूरा बवाल हुआ। कांवड़ियों पर लाठीचार्ज को सपा व दूसरी विपक्षी पार्टियों के मुद्दा बनाने पर शासन गंभीर हुआ।

घटनाक्रम का वीडियो व फुटेज मौजूद हैं इसी के आधार पर होगी कार्रवाई

SSP प्रभाकर चौधरी ने बताया कि एक पक्ष को समझा दिया गया था। वह लोग गलियों में 150 मीटर अंदर चले गए थे। कांवड़ यात्रा निकलने से पहले उसमें शामिल अराजक तत्वों ने हवाई फायरिंग कर दी। तब लाठी चलवाकर लोगों को खदेड़ना पड़ा। मौके पर फोर्स मौजूद है। पूरे घटनाक्रम का वीडियो व फुटेज मौजूद है। इसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

बता दें कि रविवार को जोगी नवादा में कांवड़ यात्रा के दौरान दो समुदाय के लोग आमने सामने आ गए थे। पत्थरबाजी भी हुई। इस रविवार को चक महमूद से इसी इबादत स्थल के पास से होकर कांवड़ियों का जत्था निकाला जाना था। सुबह नौ बजे से यहां तनातनी का माहौल था। कांवड़िये डीजे के साथ इसी रास्ते से निकलने पर अड़ गए। वहीं दूसरा समुदाय डीजे को साथ ले जाने को नई परंपरा बताकर विरोध करने लगा।

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अधिकारी दोनों पक्षों को मनाने में जुट गए। शाम को दूसरे समुदाय के लोगों को इस बात पर राजी कर लिया गया कि इबादत स्थल के पास डीजे बंद कर दिया जाएगा। मगर कांवड़िये तैयार नहीं हुए। उनके साथ मौजूद महिलाओं ने पीलीभीत बाईपास पर धरना शुरू कर दिया। जाम लगा तो एसपी सिटी ने वहां पहुंचकर उन्हें मना लिया था।

डीएम ने दी जानकारी

जिलाधिकारी शिवाकांत द्विवेदी ने कहा कि बगैर अनुमति कांवड़िये जिस मार्ग से जत्था निकालना चाहते थे, उसपर दूसरा पक्ष सहमत नहीं था। समझाने पर दूसरा पक्ष बगैर डीजे बजाए जत्था निकालने पर मान गया था, पर कांवड़िये उसी मार्ग से डीजे बजाते हुए जाना चाहते थे। संगठन के पदाधिकारियों की बात भी नहीं मानी। अराजक हो रहे माहौल में शांति व्यवस्था के लिए हल्का बल प्रयोग करने के निर्देश दिए गए। मौके पर फायरिंग की भी सूचना है पर अब तक पुष्टि नहीं हो सकी है। लोगों से अपील है कि सावन शिव आराधना का पवित्र माह है। परंपरागत तरीके से धार्मिक आयोजन हों और जत्थे निकाले जाएं। प्रयास रहे कि किसी की भावनाएं आहत न हों।

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स्थानीय महिलाओं ने पुलिस पर लगाए गम्भीर आरोप

जानकारी के लिए बता दें कि पुलिस के द्वारा किए गए लाठीचार्ज में कई महिलाएं भी घायल हुई हैं। जिनके द्वारा पुलिस के ऊपर गम्भीर आरोप भी लगाए जा रहे हैं। स्थानीय महिला गीता श्रीवास्तव के द्वारा बताया गया कि वह घर पर थीं। घर में घुसकर पुलिसकर्मियों ने उन्हें और उनके पति वेदप्रकाश को पीटा। जिससे उन्हें चोटें आई हुई हैं। इनके अलावा पड़ोस में रहने वाली  रागिनी और उनकी मां सरस्वती शर्मा भी निकलकर आईं। इन लोगों ने पीठ और हाथ पर लगी चोटें दिखाईं। बताया कि एक महिला का हाथ भी टूट गया है। वह लोग दरवाजे पर खड़ी थीं। उन्हें जानबूझकर निशाना बनाया गया। उनका घटना से कोई लेना-देना नहीं था। वहीं एक एक युवक ने बताया कि वह बच्चे की दवा लेने जा रहा था। उनकी भी पिटाई की गई। एक कांवड़िये ने कहा कि उनका कसूर सिर्फ इतना है कि वे यात्रा में शामिल थे। पुलिस ने यह भी नहीं देखा कि किसे मार रहे हैं। कई सारे कांवड़ियों को चोटें आई हैं। वे डर की वजह से अपना दर्द बताने आगे नहीं आ रहे।

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