हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, बालिग जोड़ों के लिव इन रिलेशनशिप में रहने पर कोई हस्तक्षेप नहीं, माता-पिता भी नहीं जता सकते आपत्ति

KNEWS DESK- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला लिया है| हाईकोर्ट का कहना है कि बालिग प्रेमी-प्रेमिका को एक साथ रहने की अनुमति दी जाएगी और उनके शांतिपूर्ण जीवन में हस्तक्षेप करने का अधिकार उनके माता-पिता को भी नहीं है| बालिग जोड़ों की धर्म-जाति पर भी कोई रोक टोक नहीं होगी| कोर्ट ने आदेश दिया, बालिग जोड़े के लिव इन रिलेशनशिप में रहने पर कोई आपत्ति नहीं जताई जाएगी|

कोर्ट का कहना है कि यदि बालिग जोड़े के लिव इन रिलेशनशिप में रहने पर यदि कोई परेशान करता है या धमकाता है तो उसके अर्जी देने पर पुलिस कमिश्नर संरक्षण प्रदान करें| कोर्ट ने कहा- बालिग जोड़े को अपनी पसंद से साथ रहने या शादी करने की पूरी आजादी है| किसी को भी उसके इस अधिकार में हस्तक्षेप करने का कोई हक नहीं है| इन अधिकारों में हस्तक्षेप अनुच्छेद 19 व 21का उल्लंघन होगा| यह आदेश न्यायमूर्ति सुरेंद्र सिंह ने गौतमबुद्धनगर की रजिया व अन्य की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया|

आदेश में कहा गया कि दोनों बालिग है और अपनी मर्जी से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं| भविष्य में शादी करना चाहते हैं| मां-बाप व परिवार के लोग नाखुश हैं और धमका रहे हैं| आशंका है कि उसकी ऑनर किलिंग की जा सकती है| 4 अगस्त 23 को पुलिस कमिश्नर को शिकायत कर संरक्षण मांगा, किंतु कोई कार्रवाई न होने पर हाईकोर्ट की शरण ली| याचियों के खिलाफ अभी तक कोई FIR दर्ज नहीं कराई गई|

अपर शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि दोनों अलग धर्म के हैं| मुस्लिम कानून में लिव इन रिलेशन में रहना दंडनीय गुनाह है| जिस पर कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के हवाले से कहा कि किसी भी बालिग जोड़े को अपनी मर्जी से साथ रहने का अधिकार है| भले ही उनका जाति धर्म अलग हो| यदि कोई परेशान करे, या हिंसा करे तो पुलिस उसपर कार्रवाई करे| इसी के साथ कोर्ट ने याचिका का निस्तारित किया|

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