”बचेंगी” तभी तो पढ़ेंगी बेटियां !

एक साल के अंदर 257 लड़कियां गायब

गोरखपुर मंडल के चारो जिलों से एक साल के अंदर 257 लड़कियां गायब हो चुकी है, केवल गोरखपुर से 71 बेटियां गायब हुई, जिसमे 17 बेटियो को पुलिस बरामद कर चुकी है जबकि अभी भी 54 बेटियां गायब है, वही देवरिया जिले से 146 बेटियां, कुशीनगर से 15 बेटियां वही महाराजगंज से 25 बेटिया गायब हुई थी जिसमे पुलिस ने सभी जिलो को मिलाकर 169 बेटियों को पुलिस बरामद कर चुकी है, लेकिन अभी तक 88 बेटीयां लापता है, जिनकों अभी भी किसी रहनुमा का इंतजार है जो आकर उनकी जान बचा ले और उन्हें उनके परिवार से मिला दे जिस तरह से इतनी भारी तादाद में बेटियां गायब है और पुलिस उनकी पहुंच से दूर है, जो निश्चित तौर पर पुलिस के कार्यशैली पर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है ।

आप को बता दे कि हाल ही में 8 जुलाई को गोरखपुर के बेलीपार की एक महिला बेटी के साथ दिल्ली से गोरखपुर अपने गाँव आयी थी, गोरखपुर आने के बाद उनकी बेटी लापता हो गई उन्होंने केस दर्ज कराया और पुलिस जांच शुरू की लेकिन बच्ची के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई, इसके बाद पीड़ित मां ने दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जिस पर पुलिस की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की और गोरखपुर पुलिस को फटकार लगाया, जिसके बाद गोरखपुर एडीजी अखिल कुमार सख्त हुए और जिले के पुलिस कप्तानों को अलर्ट करते हए अलग से बजट का प्रबंध करने का आदेश दिया जिससे दूसरे प्रदेश में दबिश के लिए जाने वाली टीम को किसी प्रकार का दिक्कत न हो साथ ही बजट के प्रावधान के लिए मुख्यालय को भी पत्र लिखने के तैयारी की गयी है ।

जानकारों की माने तो यूपी पुलिस को लड़कियों की बरामदगी में अपनी जेब ढीली करनी पड़ जाती है, ऐसे में आलम यह है की कुछ मामले में पुलिस को उनके ठिकानों की जानकारी तो होती है, लेकिन उन्हें पकड़कर ले आने में आने वाले खर्च से डर कर पुलिसवाले सिर्फ समय पास कर रहे हैं, जिस मामले में वादी अपने स्तर से पुलिस की मदद (खर्च) को तैयार है उसमें लड़कियां जल्द बरामद कर ली जाती हैं ।

कहा जाता है कि लड़कियों की लोकेशन यूपी से बाहर यानी दिल्ली, मुम्बई, कोलकता, बंगलुरु, बिहार सहित अन्य प्रदेश में मिल रही है, लेकिन इन्हें बरामद करने में होने वाले खर्च का इंतजाम न होने से पुलिस वहां जाने से बच रही है, ऐसे में लड़कियों को बरामद करने में और उनके अपहर्ताओं को पकड़ने में विवेचक के अलावा एक सिपाही और एक महिला सिपाही की टीम बनती है कभी-कभी अपहर्ता की संख्या एक से ज्यादा हुई तो सिपाहियों की संख्या बढ़ानी पड़ती है ।

 

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