कब, क्यों और किस लिए मनाया जाता है, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

इस साल यूएन की थीम- डिजिट ऑल: इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी फॉर जेंडर इक्वीलिटी है। यूएन के अनुसार पुरुषों की तुलना में 259 मिलियन कम महिलाएं इंटरनेट का उपयोग कर पाती हैं। महिलाओं को विज्ञान, गणित, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग के करियर में बड़े पैमाने पर कम प्रतिनिधित्व दिया जाता है। ऐसे में महिलाओं की जरूरतों को पूरा करने के साथ लैंगिग समानता को बढ़ावा देने के लिए इस थीम को चुना गया है। इससे पहले यूएन के थीम के तौर पर जलवायु, परिवर्तन, ग्रामीण महिलाएं और एचआईवी/एड्स शामिल रहे हैं।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिलाओं की उपलब्धियों को मनाने का दिन होता है। इस दिन की शुरुआत 20वीं सदी में अमेरिकी समाजवादी और श्रमिक आंदोलनों से हुई थी। उस समय महिलाएं काम के घंटे कम करने, बेहतर वेतन और वोट देने के अधिकार के लिए लड़ रही थी। सबसे पहला महिला दिवस 1911 में गया था। इस दौरान ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटजरलैंड में दस लाख से भी अधिक लोगों ने महिलाओं के अधिकारों का समर्थन करने के लिए रैलियां निकाली थीं। इसके बाद से महिलाओं के कार्यस्थलों पर समानता से लेकर हिंसा के खिलाफ मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। 1977 में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को मान्यता दी गई। तभी से संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाना शुरू किया।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को प्रदर्शित करने वाले तीन रंग- सफेद, हरा और बैगनी है। महिला दिवस के कैंपेन के हिसाब से सफेद रंग शुद्धता, हरा रंग उम्मीद और बैगनी रंग न्याय और गरिमा को प्रदर्शित करता है।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को बराबर का दर्जा प्राप्त करवाना है, जिससे उन्हें किसी भी अधिकार से वंचित न किया जाए। उनके साथ किसी भी क्षेत्र में भेदभाव न किया जाए। इस खास अवसर पर महिलाओं के अधिकारों के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए कई कार्यक्रम और कैंपेन भी आयोजित किए जाते हैं। हाल के कुछ वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को महिलाओं के साथ ट्रांसजेंडर, नॉन-बाइनरी और जेंडर नॉन-कन्फर्मिंग लोगों के लिए अधिक समावेशी बनाने पर जोर दिया गया है।

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