Women Day Special: उस बेटी की कहानी जिसने अपनी मेहनत और लगन से पिता के छोटे से लैब से बनाया 9000 करोड़ का एम्पायर

महिला दिवस स्पेशल, 21 साल की लड़की के साथ पार्टनरशिप??? ये सवाल हर उस व्यक्ति के दिमाग में आया जिससे भी बिज़नेस के सिलसिले में ये मिलीं. उम्र का इक्कीसवां बरस वो नाजुक पड़ाव होता है जब युवा अपनी ज़िन्दगी के फैसलों को लेकर बहुत कंफ्यूज होते हैं. ऐसे में किसी ने इनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया. टेक्सेंस में नौकरी छोड़कर कुछ सृजनात्मक करने और जीवन सार्थक बनाने के उद्देश्य से भारत आ जाने के फैसले को गलत ठहराया गया, लेकिन पिता के सपने को अपनी आँखों में सजाये ये बेटी अपनी धुन की पक्की थी. भारत आकर पिता की डायग्नोस्टिक लैब संभाली और अपनी मेहनत के दम से देखते ही देखते सिंगल लैबोरेटरी को 9000 करोड़ के एम्पायर में तब्दील कर दिया. मेट्रोपोलिस आज देश की टॉप थ्री पैथ लैब चेन्स में शुमार है जिसके 1500 से ज्यादा सेंटर्स और 150 लैबोरेटरीज़ हैं और ये कमाल किया है मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर की मैनेजिंग डायरेक्टर अमीरा शाह ने.

 

अमीरा शाह के परिवार में उनको छोड़कर सभी डॉक्टर हैं. इनके पिता सुशील शाह पैथोलोजिस्ट हैं. माँ दुरू शाह जानी-मानी गायनेकोलोजिस्ट और बड़ी बहन अपर्णा जीनेटिसिस्ट हैं लेकिन इन्होंने फाइनेंस का रास्ता चुना और मुंबई यूनिवर्सिटी के एचआर (जूनियर) कॉलेज से कॉमर्स की पढ़ाई की और यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्सेंस से स्नातक किया. अमीरा की पहली जॉब न्यूयॉर्क की गोल्डमैन सैक्स कंपनी में लगी. इसके बाद इन्होंने टेक्सेंस बेस्ड एक स्टार्टअप कंपनी टैलेंटहिल में काम किया. इसी दौरान अमीरा ने बांग्लादेशी माइक्रोफाइनेंस गुरु मुहम्मद युनुस की किताब ‘बैंकर टू द पुअर’ पढ़ी. अमीरा ने इस किताब से प्रभावित होकर एन्त्रेप्रेनुएरशिप में जाने का मन बना लिया लेकिन वे अपने इस फैसले को लेकर दुविधा में थीं. ऐसे में पिता ने अपने दिल की सुनने की सलाह दी और वे 2001 में नौकरी छोड़कर भारत आ गयीं.

उस वक़्त भारत आज की तरह शाइनिंग इंडिया नहीं था इसलिए अमीरा के इस फैसले को लोगों ने सही नहीं ठहराया. अमेरिका की नौकरी छोड़कर पिता की लैब संभालना उन्हें कुछ अजीब लगा लेकिन जल्दी ही अमीरा ने अपनी काबिलियत से सबके मुंह पर ताला लगा दिया. इनके पिता का एक ही सपना था- देश भर में लैबोरेटरीज़ की चेन खोलना. अमीरा शाह ने पिता के इस सपने को पूरा करने की ठानी. सबसे पहले अमीरा ने सोल प्रोपराइटरशिप को कंपनी में बदला. फिर कंपनी में नए टैलेंट, नए डिपार्टमेंट, डिजिटलीकृत संचार प्रणालियों, एसओपी और प्रक्रियाओं का निर्माण किया। 2003 में अमीरा ने डॉ सुशील शाह लैबोरेटरी का नाम बदलकर मेट्रोपोलिस रख दिया और फिर शुरू हुआ देश भर की लैबोरेटरीज़ को जोड़ने का सिलसिला जोकि देश तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि श्रीलंका, मिडिल ईस्ट, अफ्रीका समेत सात देशों तक पहुंच चुका है. 2006 में, जब शाह निजी इक्विटी फंडिंग बढ़ाना चाहती थीं तो कुछ निवेशकों ने उनसे पूछा कि क्या वे शादी करने और बच्चों के बाद एन्त्रेप्रेनुएरशिप छोड़ देंगी? इसके बाद, आईसीआईसीआई वेंचर्स, वारबर्ग पिंकस, कार्लाई और केकेआर जैसे निवेशकों ने उन पर भरोसा किया. शाह ने ये भरोसा टूटने नहीं दिया और अपनी निर्णय क्षमता, कार्यकुशलता और नेतृत्व क्षमता के बूते 7 करोड़ रेवेन्यू वाली कंपनी को 700 करोड़ रेवेन्यू वाली कंपनी बना दिया. मेट्रोपोलिस आज एक सम्मानित हेल्थकेयर ब्रांड बन गया है, जिसकी लैबोरेटरीज़ में सालाना 30 मिलियन से अधिक टेस्ट होते हैं.

अपनी बेहतरीन बिज़नेस स्किल्स के चलते अमीरा शाह को साल 2017 में फार्च्यून मैगजीन ने इंडियाज़ मोस्ट पावरफुल वीमेन इन बिज़नेस की सूची में 46वें स्थान पर रखा था. साल 2015 में ये फोर्ब्स की एशियाज़ पावर बिज़नेस वीमेन की सूची में शामिल हुई थीं. साथ ही अमीरा को यंग ग्लोबल लीडर अवार्ड, यंग अचीवर ऑफ़ द ईयर, सीएमओ एशिया अवार्ड समेत कई अवार्ड मिल चुके हैं.

 

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