सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से किया इनकार, 3-2 पर अटक गया मामला

KNEWS DESK- आज सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को लेकर सुनवाई हुई जिसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया। फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं दे सकते और जोड़े बच्चा भी गोद नहीं ले सकते। जानकारी के लिए आपको ये बता दें कि पांच जजों की पीठ ने ये फैसला सुनाया है। पांच जजों की बैंच में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस हिमा कोहली, जस्टिस एम रविंद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल रहे।

बेंच ने साफ कर दिया कि ये मामला स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के दायरे में ही रहेगा। इससे पहले अदालत ने सुनवाई करते हुए इस फैसला सुरक्षित रख लिया था और आज मंगलवार (17 अक्टूबर 2023) को फैसला सुनाया। समलैंगिक विवाह को लेकर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस कौल मान्यता देने के पक्ष में नजर आए तो वहीं, जस्टिस कोहली, जस्टिस भट और जस्टिस नरसिम्हा की राय इससे भिन्न रही। इस तरह से मामला तीन-दो का हो गया और सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह का कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया।

सेम सेक्स मैरिज के मामले पर पांच जजों की बेंच अलग-अलग नजर आई। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि अदालत के पास कानून बनाने का अधिकार नहीं है। इसमें बदलाव सिर्फ संसद कर सकती है। ये संसद को देखना होगा कि स्पेश मैरिज एक्ट में बदलाव की जरूरत है या नहीं। हां उन्होंने सरकार को समलैंगिक लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के निर्देश सरकार को दिए हैं। फैसला सुनाने से पहले चीफ जस्टिस ने कहा था, कुल 4 फैसले हैं जिसमें कुछ बातों पर हम सहमत हैं, कुछ पर नहीं. उन्होंने कहा कि अपना साथी चुनने का अधिकार सबको है। इसके साथ ही अनुच्छेद 21 के तहत सम्मान के साथ जीवन एक मौलिक अधिकार है। हालांकि, यह सही है कि कुछ मामलों में साथी चुनने के अधिकार पर कानूनी रोक है- जैसे प्रतिबंधित संबंधों में शादी लेकिन समलैंगिक तबके को भी अपने साथी के साथ रहने का अधिकार उसी तरह है, जैसे दूसरों को है। किसी व्यक्ति को यह चुनने का भी अधिकार है कि वह खुद को किस (स्त्री या पुरुष) तरह से पहचानता है।

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