KNEWS DESK : राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार हाल ही में राइट टु हेल्थ बिल लेकर आई। जो विधानसभा में पास हो गया। हालांकि, इस बिल के विरोध में प्राइवेट डाक्टरों का आंदोलन तेज हो गया। आखिर स्वास्थ्य का अधिकार एक्ट क्या है? क्यों डॉक्टर कर रहे प्रदर्शन….
राजस्थान के सरकारी डॉक्टर ‘राइट टु हेल्थ’ बिल (Right To Health Bill) के खिलाफ आंदोलन कर रहे प्राइवेट डॉक्टरों के समर्थन में आए। वो भी बुधवार को एकदिवसीय हड़ताल पर रहे जिससे राज्य में कई जगह मेडिकल सर्विस प्रभावित हुई। हालांकि, भरतपुर, अलवर और उदयपुर सहित कई स्थानों पर कई सरकारी डॉक्टर अस्पतालों में लौट आए और OPD में मरीजों का इलाज किया। इमरजेंसी सर्विस और ICU को हड़ताल से अलग रखा गया है। राजस्थान में सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सवाई मान सिंह अस्पताल में हड़ताल का बहुत अधिक असर नहीं पड़ा। स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा के गृहनगर दौसा में भी सेवाएं अप्रभावित रहीं।
राजस्थान सरकार हाल ही में संविधान के अनुच्छेद 21 के 2022 लेकर आई, इसे राजस्थान विधानसभा के पटल पर सितंबर 2022 में ही रखा गया था, लेकिन विपक्ष और डॉक्टरों की मांग पर इसमें कुछ संशोधन किए गए, और बीते 21 मार्च, 2023 को इसे पारित किया। दावा किया जा रहा है कि यह बिल मरीजों के लिए बहुत ही लाभकारी है। खासकर उन मरीजों के लिए जो निजी अस्पतालों का भारी-भरकम खर्च नहीं उठा सकते। जानकारी के मुताबिक अगर कोई मरीज अपने इलाज का भुगतान करने में सक्षम नहीं है तो राज्य सरकार उसकी आर्थिक मदद करेगी।
राइट टू हेल्थ बिल’के खिलाफ लगभग निजी अस्पतालों के डॉक्टर विरोध कर रहे हैं। डॉक्टरों का आरोप है कि राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारियां प्राइवेट डॉक्टरों के कंधे पर डालना चाहती है। डॉक्टरों के मुताबिक इस विधेयक की रूपरेखा अभी तक साफ नहीं है, मसलन- मरीज को इलाज देने के बाद सरकार किस तरीके से उसका भुगतान करेगी? सरकार जब पहले से ही कई स्वास्थ्य योजनाएं चला रही है तो अलग से राइट टू हेल्थ बिल की जरूरत क्या है?
सूत्रों के मुताबिक, डॉक्टर तीन शर्तों पर सहमत हुए हैं। जिसमें पहली शर्त है कि केवल वही अस्पताल आरटीएच लागू करेंगे, जिन्हें सरकार से मदद मिली है। जो लोग आरटीएच लागू करना चाहते हैं वे आगे बढ़ सकते हैं। दूसरी शर्त है कि 50 बेड्स से से कम वाले अस्पताल आरटीएच लागू नहीं करेंगे। शर्त नंबर तीन जो सबसे महत्वपूर्ण है वो यह है कि भविष्य में यदि कोई संशोधन करना होता है तो उसमें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के दो प्रतिनिधि शामिल किए जाएंगे। डॉक्टर आज शाम अपना विरोध समाप्त कर सकते हैं। हालांकि, कुछ डॉक्टरों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा है कि सरकार और आईएमए के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने के बाद ही वे विरोध समाप्त करेंगे।