हिरासत में लिए गए व्यक्ति के साथ मारपीट नहीं कर सकती पुलिस,जानिए आप भी अपने अधिकार

KNEWS DESK- इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कुछ ही दिनों पहले पुलिस कस्टडी में मारपीट करने वाले पुलिस ऑफिसर के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है था। यह मामला उत्तर प्रदेश का है। जब पुलिस ने एक लड़के को सड़क किनारे पार्किंग करने पर उसे गिरफ्तारी कर लिया था। उसके बाद पुलिस ने कस्टडी में लड़के के साथ मारपीट की थी। जिसके बाद लड़के ने पुलिस के खिलाफ कस्टडी में वायलेंस का केस दर्ज कर दिया था।

आपको बता दें कि  पुलिस हिरासत में लेने के बाद मारपीट कर सकती है? इसके साथ ही दूसरा सवाल यह है कि गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति के पास अपने बचाव के लिए कौन-कौन से अधिकार हैं? हिरासत व गिरफ्तारी में क्या फर्क है? हिरासत व गिरफ्तारी दोनों एक दूसरे से अलग है।  हिरासत में व्यक्ति को पूछताछ के लिए कुछ घंटे के लिए थाने या जेल में रखा जाता है। जबकि गिरफ्तारी उस व्यक्ति का होता है। जो किसी क्राइम का दोषी होता है या शक के निगाह पर उसे जेल भेजा जाता है. गिरफ्तार एवं हिरासत में लिए गए व्यक्ति को लगभग एक जैसे ही अधिकार मिलते हैं। पुलिस किसी को भी कानून विशेष परिस्थितयों में ही गिरफ्तार कर सकती है। पुलिस को इस बात का शक हो कि व्यक्ति कोई अपराध करने वाला है। वह जमानत पर हो व उसके नियमों का उल्लंघन कर रहा हो। पुलिस किसी को इन परिस्थितियों में गिरफ्तार नहीं कर सकती है। पुलिस बगैर कारण बताए किसी को गिरफ्तार नहीं कर सकती है। कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़कर पुलिस बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकती है। पुलिस स्पेशल ऑपरेशन को छोड़कर बिना वर्दी में किसी को भी गिरफ्तार नहीं कर सकती है।

पुलिस गिरफ्तारी के बाद भी मारपीट नहीं कर सकती  

जानकारी के लिए बता दें कि एक महिला को केवल एक महिला पुलिस ही गिरफ्तार कर सकती है। सूर्यास्त के बाद एवं सूर्योदय से पहले एक महिला को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। जब तक कि स्पेशल कंडीशन न हो अगर महिला पुलिस नहीं है।  तो पुरूष पुलिस भी महिला को गिरफ्तार कर सकता है। लेकिन गिरफ्तारी से पहले उसे अपने अरेस्ट मेमो में अपनी कार्रवाई व गिरफ्तारी की वजह बताना होगा।पुलिस गिरफ्तारी के बाद किसी भी व्यक्ति के साथ मारपीट नहीं कर सकती है। इस संबंध में देश की सर्वोच्च सुप्रीम कोर्ट की ओर से आदेश जारी किया गया है। पुलिस गिरफ्तारी के बाद थाने में मारपीट करती है तो इसे कस्टोडियल वायलेंस कहते हैं। जो भारत में गैर-कानूनी माना गया है।

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