नागौर में सांपों के देवता वीर तेजाजी, एक वचन के लिए त्याग दिए थे प्राण..

नागौर के वीर तेजाजी महाराज ने अपने वचन को पूरा करने के लिए नाग देवता से अपनी जीभ को डसवा लिया था और प्राण त्याग दिए थे। वर्तमान में तेजाजी महाराज का मंदिर नागौर में हैं, जहां श्रद्धालुओं का तांता लगता है। अपने वचनों को श्रेष्ठ भूमिका देते हुए वीर तेजाजी ने प्राण व्यग्ते हुए एक बार भी नहीं सोचा।

वीर तेजाजी का जन्म 29 फरवरी 1074 (माघ शुक्ल 14, विक्रम संवत् 1130) को नागौर जिले के खड़नाल ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम थिरराज तथा माँ का नाम रामकुंवरी था। तेजाजी को वीरतेजा या सत्यवादी के रूप में भी जाना जाता है। तेजाजी को शिवजी के ग्यारहों अवतारों में से एक माना जाता है. वीर लोक देवता तेजाजी महाराज को गायों व सांपों के देवता के रूप में लोग आज भी पूजते हैं। लोगों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि यदि किसी सर्प द्वारा कांटे हुऐ व्यक्ति को इनके नाम की तांती बांध देते हैं तो वह ठीक हो जाता है।

एक श्राप जो हो गया सच

मंदिर के पुजारी तेजाराम का कहना है कि जब तेजाजी महाराज अपनी पत्नी पेमल को लेने ससुराल पनेर पहुंचे तो उनकी सांस पशुओं से दूध निकाल रही थी। तेजाजी को देखकर पशु चमक गए तो सास ने गलती से कड़वे वचन “काल को खावड़ो कुण आयो” बोल दिए। उसी रात गांव की कुछ गायें चोरी हो गई। गाय चोरी होने की बात सुन कर तेजाजी ने गायों को छुड़वाने के लिए चोरों का पीछा किया। इसी बीच तेजाजी को रस्ते में उन्हें जलता हुआ सांप दिखा। तेजाजी ने उसको बचाने के लिए उसे आग से बाहर निकाला। तभी वहां नाग देवता प्रकट हुए और कहा, मोक्ष प्राप्ति में तुमने विघ्न डाल दिया, और इस वजह से अब मैं तुमको डसूंगा। लेकिन, तेजाजी महाराज ने गायों की बात बताई और वचन दिया कि वापस आने पर आप मुझे डस लेना। गायों को चोरों से छुड़वाते हुऐ तेजाजी लहूलुहान हो गए और गायों को वापस गांव देकर। अपना वचन निभाने के लिए नाग देवता के समक्ष गए और अपनी जीभ को नाग देवता से कटवाया।

400 करोड़ में बनेगा भव्य मंदिर

तेजाजी महाराज का मेला भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को लगता है। विक्रम संवत 1160 में तेजाजी अपने वचनों को पूरा कर सांप से कुछ को कटवा कर अपने प्राण त्याग दिए थे। अब तेजाजी महाराज का वर्तमान में 400 करोड़ रुपये की लागत से भव्य मंदिर बनेगा। तेजाजी महाराज को अपने वचनों व सत्य के लिए के देश के कई राज्यों गुजरात, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब में लोक देवता के रूप में पूजते हैं।

तेजाजी खरनाल मंदिर

वीर तेजाजी का खरनाल में मंदिर यह लोक देवता तेजा जी की जन्म भूमि है,खरनाल गांव में वीर तेजाजी का भव्य मंदिर बना हुआ है ! यहां पर भाद्रपद महीने की दशमीं को खरनाल में तेजा जी का विशाल मेला भरता है ! यहां पर अनेक श्रद्धालु लोक देवता वीर तेजा जी के दर्शन करने के लिए गाजे बाजे के साथ आते हैं ! अधिकतर जाट जाति के लोग आते हैं नागौर अजमेर मैं तेजाजी को इष्ट देवता के रूप में पूजा जाता है ! दसवीं की रात को यहां पर विशाल तेजा गायन होता है जिसमें मुख्य अतिथि हनुमान बेनीवाल और अन्य मंत्री वीर तेजा जी के दर्शन करने के लिए आते हैं ! इस दिन घोड़ों की दौड़ की प्रतियोगिता रखी जाती है ! अगरआप कभी नागौर जाते हैं तो वहां पास स्थित खरनाल गांव में श्री तेजाजी के दर्शन करने के लिए जरूर पधारें ! खरनाल गांव से एक 2 किलोमीटर दूर तेजाजी के बहन बूंगल बाई का मंदिर है !

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