जुलाई माह की दूसरी एकादशी,जानें सही मुहूर्त और पूजा विधि

KNEWS DESK  हिन्दू धर्म  में एकादशी वर्त महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशी होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। मलमास जिसे अधिक मास या पुरूषोत्तम मास कहा गया है। इस मास में दो एकादशी आती हैं | एक  कृष्ण पक्ष की एकादशी और दूसरी शुक्ल पक्ष की एकादशी. जुलाई माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी यानि कामिका एकादशी 12 जुलाई 2023 को पड़ी थी, वहीं जुलाई माह की दूसरी एकादशी यानि शुक्ल पक्ष की एकादशी 28 जुलाई को पड़ेगी.जिसमें अत्यंत पुण्य दायिनी पद्मिनी एकादशी भी एक है।

 शुभ मुहूर्त..   

हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 28 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 52 मिनट से आरंभ होगी और 29 जुलाई को रात के समय 1 बजकर 6 मिनट तक रहेगी। ऐसे में पद्मिनी एकादशी का व्रत 29 जुलाई को रखा जाएगा। वहीं, 30 तारीख को सुबह सूर्योदय से 2 घंटे के अंदर -अन्दर  एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा।

 पूजा विधि..

पद्मिनी एकादशी के दिन पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करनी चाहिए।पद्मिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इससके बाद भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें। पूजा में पीले रंग के फूल, धूप, दीप, अक्षत, चंदन और दूर्वा अर्पित करें। साथ ही इस दिन पद्मिनी एकादशी की कथा पढ़ें और विष्णु चालीसा का पाठ करें और अंत में विष्णु चालीसा का पाठ जरूर करें.

इस दिन पूरे दिन व्रत करें और शाम के समय. फलाहार करें। अगले दिन व्रत खोलें।एकादशी के दिन दान का विशेष महत्व होता है. इस दिन पूजा पाठ करने के साथ-साथ दान जरुर करें. इसका आपको शुभ फल मिलेगा. इस दिन मंदिर जरुर जाएँ और श्री हरि विष्णु जी का आशीर्वाद जरुर लें.

पद्मिनी एकादशी महत्व..

मान्यताओं के अनुसार, पद्मिनी एकादशी का व्रत जो व्यक्ति रखता है. उसको  श्री हरि के चरणों में स्थान प्राप्त होता है, और जीवन में विशेष लाभ मिलता है|

शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत को रखने से यज्ञ, तप और दान का महत्व है। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं ..

 

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