ये कैसी आवाज, सड़क नहीं तो वोट नहीं !

उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही तमाम राजनीतिक दल राज्य की पांचों लोकसभा सीटों को जीतने के लिए पूरी ताकत के साथ प्रचार प्रसार कर रहे हैं। इसके साथ ही निर्वाचन आयोग की ओर से भी चुनाव में मतदान प्रतिशत को बढ़ाने के लिए लोगों से अधिक से अधिक मतदान की अपील की जा रही है। हांलाकि निर्वाचन आयोग की अपील के बावजूद राज्य के कई ग्रांव के ग्रामीण लोकसभा चुनाव के बहिष्कार के फैसले पर अड़े हुए हैं। इसके तहत अल्मोड़ा, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़ और देहरादून जनपद के कई गांव के ग्रामीणों ने सड़क, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया है। बड़ी संख्या में ग्रामीणों की इस नाराजगी ने चुनाव आयोग के साथ ही तमाम राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ा दी है। वहीं सत्ताधारी दल का कहना है कि डबल इंजन की रफ्तार से देश और प्रदेश का विकास किया जा रहा है जिन भी ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है। उनको मनाने का प्रयास किया जा रहा. वहीं विपक्षी दलों का कहना है कि भाजपा सिर्फ बातें करती है काम नहीं यही वजह है कि ग्रामीणों को चुनाव का बहिष्कार करना पड़ रहा है सवाल ये है कि आखिर ग्रामीणों को चुनाव का बहिष्कार क्यों करना पड़ रहा है और आखिर ग्रामीणों के बहिष्कार से मतदान का प्रतिशत कैसे बढ पाएगा ये बडा सवाल है 

उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के बीच राज्य के कई जनपदों से चुनाव बहिष्कार की खबरें आ रही है। इसके तहत अल्मोड़ा, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़ और देहरादून जनपद के कई गांव के ग्रामीणों ने सड़क, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया है। वहीं आजादी के बाद भी उत्तराखंड के कई ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैंजहां के ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। ऐसा ही एक गांव हैसहसपुर विधानसभा का मिसराज पट्टी गांव का है। जहां न तो स्वास्थ्य सेवाएं है और न ही सड़क। खास बात यह है की यह गांव किसी पहाड़ी क्षेत्र का दूरस्थ गांव नहीं बल्कि सूबे की राजधानी कहे जाने वाले देहरादून से काफी सटा हुआ इलाका है। और देहरादून की दूरी महज बीस किलोमीटर दूर है बावजूद इसके ग्रामीणों की मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

आपको बता दें कि उत्तराखंड के कई अन्य जनपदों से भी ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया है। इसके तहत अल्मोड़ा, रुद्रप्रयाग, चमोली, पिथौरागढ़ के साथ ही देहरादून के कई गांव के ग्रामीणों ने मूलभूत सुविधाओं के लिए चुनाव बहिष्कार का फैसला लिया है। वहीं राज्य में अब इस मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। कांग्रेस का कहना ह कि भाजपा के राज में हर वर्ग परेशान है सरकार सिर्फ घोषणाएं करती है। सांसदों ने अपनी सांसद निधि तक खर्च नहीं की है। वहीं भाजपा का दावा है कि विकास तेज गति से हो रहा है

कुल मिलाकर चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राज्य में प्रचार प्रचार तेज हो गया है वहीं राज्य के कई जनपदों से चुनाव बहिष्कार की आ रही खबरों ने चुनाव आयोग के साथ ही तमाम राजनीतिक दलों की चिंता को बढ़ा दिया है ऐसे मे देखना होगा कि ग्राणीणों के इस ऐलान के बाद क्या सरकार जनता की मांगों को पूरा करेगी या नहीं

 

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