जोशीमठ में जमीन के अंदर तक गहरी दरारें

जोशीमठ, भू-धंसाव का सामना कर रहे जोशीमठ का एक बहुत बड़ा हिस्सा अंदर तक खोखला हो चुका है क्योंकि पानी के साथ भारी मात्रा में मिट्टी बह गई है। जिससे कि 30 फीसदी हिस्सा कभी भी अंदर धंस सकता है। यह खुलासा केंद्रीय जांच एजेंसियों की प्राथमिक की रिपोर्ट ने किया है। रिपोर्ट राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को अब सौंप दी गई है। सूत्रों के मुताबिक, एन डीएमए बुधवार को ही केंद्रीय गृह मंत्रालय में इसका प्रस्तुतीकरण भी दे चुका है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जांच की अंतिम रिपोर्ट के बाद जोशीमठ की तस्वीर और भयानक हो सकती है। पूरा का पूरा जोशीमठ इसकी ज़द में आ जाएगा और साथ ही सबसे चौंकाने वाली रिपोर्ट पानी के रिसाव पर राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद की है जिस जांच में पाया गया है कि 460 से अधिक स्थानों पर 40 से 50 मीटर तक गहरी दरारें हैं।
बोल्डरों के नीचे का हिस्सा खोखला हो गया 

जोशीमठ का ढलानदार पहाड़ मलबे के ढेर पर बना हुआ है जो मिट्टी बोल्डरों को बांधी थी अब वो भी पानी के साथ बह चुकी है। बोल्डरों के नीचे का हिस्सा बिल्कुल खोखला हो चुका है। इसलिए जमीन की भार सहने की क्षमता धीरे-धीरे खत्म हो रही है। वहीं, सीबीआरआई ने विस्थापन के लिए अब तीन साइट देख ली है।

रिपोर्ट का परीक्षण करने एन डीएमए को भेजा
राज्य सचिवालय में बुधवार को हुई ब्रीफिंग में सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि इस मामले में सीबीआरआई को नोडल एजेंसी बनाया था। उसने सभी संस्थानों की रिपोर्ट का परीक्षण कर उन्हें एन डीएमए को भेज दिया है और अब इसका विश्लेषण करेगा। इसके बाद ही यह रिपोर्ट राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को भेजी जाएंगी।
2500 भवनों में रहने वाले 4000 लोग हुए प्रभावित
सर्वे में पाया गया है कि भू-धंसाव वाले क्षेत्र में 4000 नहीं, बल्कि 2500 मकान हैं, जिनमें रहने वाले 4000 लोग बहुत ज्यादा प्रभावित हुए हैं। वहीं, दरारों वाले 30% भवन तुरंत ध्वस्त करने के लिए बोल दिया गया है। जबकि बाकी भवनों की रेट्रोफिटिंग की संभावना तलाशने का भी सुझाव दिया गया है।

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