एशिया का सबसे बड़ा बोद्ध मंदिर देहरादून मे

उत्तराखंड राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक स्थल के लिए पूरे देश भर मे  प्रसिद्ध है, हर साल यहाँ देश भर से पर्यटक भ्रमण करने आते है । उत्तराखंड की राजधानी  देहरादून में भी अनेक पर्यटक स्थल है जहा लोग यात्रा करने आते है जिसमे से एक जगह है भगवान बोद्ध  का मंदिर जिसको लोग buddha temple के नाम से भी जानते है, यह क्लेमेंट  टाउन में स्थित है बोद्ध मंदिर अन्तराष्ट्रिय स्तर पे प्रसिद्ध है, हर साल यहाँ देश विदेश से यात्री भ्रमण करने आते है । यह मंदिर असाधारण बोद्ध संरचना और तिब्बती धर्म के विद्यालय के लिए प्रसिद्ध है और देहरादून में सबसे ज्यादा देखि जाने वाली जगह है । यह मंदिर पूरे एशिया का सबसे बड़ा  बोद्ध मंदिर माना जाता है जिसका दौरा करने प्रतिदिन सेंकड़ों लोग आते है जिनमे अन्तराष्ट्रिय बोद्ध धर्म को मानने वाले भी आते है । यह अद्भुत बोद्ध मंदिर लगभग 220 फीट ऊंचा है और इसमे पाँच मंजिल मे बुद्ध और गुरुओ की प्रतिमाये है , पहले तीन मंजिल में मंत्रमुग्ध करने वाली दीवार पेंटिंग है जिसको देखकर आँखों को सुकून मिलता है इसमे भगवान बुद्ध के जीवन को शुद्ध सोने के रंग में चित्रित किया गया है ,इन चित्रों को लगभग 50 चित्रकारों ने मिलकर बनाया था जिसमे उन्हे पूरे तीन साल का समय लगा था ।

परिसर का वातावरण बोद्ध के मन के समान शांति वाला है , परिसर में प्रवेश से ही मन को बहुत शांति प्राप्त होती है ,जिस व्यक्ति का मन जीवन की कठिनाइयों से जूझ रहा हो उसको यह आकार सुकून मिलता है  शहर के शोर में काम करते करते व्यक्ति का मन काफी अशांत हो जाता है पर यहाँ आकर व्यक्ति एकदम मंत्रमुग्ध हो जाता है अपनी थकान ओर कठिनाइयों को भूल के इस शांत वातावरण में लीन  हो जाता है । यह मंदिर जापानी वास्तुकला शैली में निर्मित है। इस मंदिर में प्रवेश से ही जापानी संस्कृति की अनुभूति होती है ।

मंदिर के बाहर दुकानों की शृंखला है जहा से लोग शॉपिंग करते है उसमे काफी सुंदर सुंदर हस्तनिर्मित समान भी है उसी के साथ काफी अच्छे अच्छे रेस्तराँ भी है जहा काफी स्वादिष्ट भारतीय के साथ तिबती कहना भी मिलता है ।

इतिहास

बुद्ध मंदिर एक तिब्बती मठ है जिसे मिंदरोलिंग मठ भी कहा जाता है ,यह मंडी बोद्ध धर्म के प्रमुख कोचेन रिनपोछे और उनके साथ अन्य भिक्षुओं ने मिलकर 1965 मे स्थापित किया गया था ,यह विद्यालय बोद्ध धर्म की धार्मिक और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था ।बुद्ध मंदिर को तिब्बती धर्म के चार स्कूलो में eएक के रूप में बनाया गया था ,इसस मंदिर को न्यिग्मा के नाम से जाना जाता है ,जबकि अन्य स्कूलो को क्रमशः शाक्य ,काग्यू और गेलुक के नाम से जाना जाता है।

 

कैसे पहुँचे (बुद्ध मंदिर)

देहरादून में दिल्ली सहारनपुर वाली रोड पर आइएसबीटी से केवल 4 किमी की दूरी पर क्लेमेंट टाउन में स्थित है बुद्ध मंदिर , मंदिर तक बस या स्थानीय ऑटो (विक्रम) आदि द्वारा आसानी से पहुँचा  जा सकता है। नजदीकी रेल्वे स्टेशन 9 किमी की दूरी पर है और नजदीकी हवाई अड्डा (जॉली  ग्रांट एयरपोर्ट ) 31 किमी की दूरी पर है ।

 

 

मंदिर के उद्यान और दुकाने सभी सातों दिन खुले रहती है पर मंदिर जनता के लिए केवल रविवार को खुला रहता है ।

 

 

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