उत्तराखंड मे चोरों की गुफा

यूं तो भारत जैसे  देश मे पर्यटक स्थलों की कमी नहीं है, लगभग हर राज्य मे कोई न कोई स्थल मौजूद है जहां लोग घूमने अक्सर जाया करते है और वहाँ के सुंदर नजारों और वातावरण का आनंद लेते हुए  अपनी साल भर की थकान और परेशानियों को वही छोड़ आते है   शहर मे रहने वाली जनता अक्सर पहाड़ों के तरफ रुख करती नजर आती है और आये भी क्यू ना पहाड़ों मे जो सुकून है वो कही और पाना मुश्किल सा है और इसी सुकून ने न जाने कितनों को पहाड़ों का ही बना कर रख दिया । 

पहाड़ों की बात हो रही हो और उत्तराखंड का नाम जुबान पर न आये ऐसा होना नामुमकिन है ।  वैसे तो उत्तराखंड मे इतने प्रकतिक स्थल है जिनकी यदि गिनती की जाए तो इसकी सूची खत्म होने का नाम ही ना ले  और इन्ही स्थलों मे से एक प्रसिद्ध  स्थल है रॉबर्स केव। रॉबर्स केव मुख्य रूप से  गुच्चू पानी  के नाम से प्रदेश में अधिक प्रसिद्ध है । यह एक गुफा है जिसके अंदर से कई जल धाराएं निकलती है ।  हर साल कई हजारों की संख्या में पर्यटक इस गुफा को देखने आते है ।
यह गुफा मौज मस्ती के शौकीन लोगों के लिए एक पसंदीदा पिकनिक स्थल है । यह स्थल देहरादून मुख्य सिटी से लगभग 8 km और रेलवे स्टेशन से 10 km की दूरी में मसूरी रोड ,गढ़ी केंट के पास  स्थित है । लोग यहाँ प्राइवेट व्हीकल या कैब बुक करा कर पहुच सकते है । अक्सर बारिश के समय गुफा का पानी और बहाव काफी मात्रा मे बढ़ जाता है जिसके कारण लोगों की सुरक्षा को ध्यान रखते हुए गुफा के अंदर जाने की अनुमति कुछ समय के लिए रोक दी जाती है।  गुफा के अलावा लोग इस सुंदर वातावरण के बीचों बीच भोजन का भी आनंद लेते है । वातावरण के साथ बच्चों के लिए पार्क भी यह निर्मित कराए गए है जहां अक्सर बच्चों की खिलखिलाहट सुनने को मिलती है। 
 यहाँ चलती ठंडी हवा और हरे भरे पेड़ो के नजारो के साथ पर्यटक अपने कुछ यादगार पल यह बनाते है।  गुफा में चलते वक्त अंदर धाराओं का ठंडा पानी पैरो को छूता हुआ जाता है तो यह एक अलग ही प्रकार से मन को ठंडक और प्रसन्न करता है । गुफा से बहता हुआ पानी इतना साफ होता है कि नीचे  बह रहे कंकण ,रेत और पैरों को स्पर्श करता हुआ पानी आसानी से देखा जा सकता है।  
 
गुफा का इतिहास
गुफा का नाम रॉबर्स केव ब्रिटिश काल में अंग्रेजों द्वारा रखा गया था जिसके पीछे यह कहानी पाई जाती है की डाकू लुटेरे जब चोरी करके भागते थे तो वे इसी गुफा का इस्तेमाल करते थे और अंग्रेज उन्हे नहीं पकड़ पाते थे क्यूंकि अंग्रेज इस गुफा के रहस्यमय रास्तों से अनजान थे और यही कारण से  डाकू लुटेरों को गुफा मे छिपने और आसानी से भागने का मौका मिल जाता था ।  यदि इस गुफा की भोगोलिक स्थिति की बात की जाए तो यह गुफा लगभग 600 मीटर लंबी है और अंदर दो मुख्य भागों मे विभाजित है । इस गुफा का निर्माण प्राकतिक नदियों के तेज बहाव से हुआ है । 
आज बड़ती गर्मी के कारण सेलनियों का जमावड़ा यहाँ  लगा हुआ है ।  लोग कुछ समय के लिए ही सही पर यहा आकर प्रकर्ति के बीच कुछ समय बिताते है ।  लेकिन जहां लोग यहाँ  प्रकर्ति का आनंद ले रहे वही वे  इसे किसी न किसी रूप से बर्बाद भी कर रहे है । अक्सर लोग ऐसी जगहों को केवल अपने थोड़े से आनंद के लिए प्रयोग करते है लेकिन इसका ध्यान रखना भूल जाते है।  आज इन्ही कारणों से कई ऐसें स्थल है जिनमे अब पहले वाली बात नहीं रह गई है । इसलिए हमे यदि आने वाले समय मे भी इन स्थलों का आनंद लेना है तो इसी बचाने और  स्वच्छ  रखने का प्रयास और दूसरों को भी इसके प्रति जागरूक करना होगा ।

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