‘2 जून की रोटी’, क्या है मामला? पढ़ें ख़बर

उत्तराखंड–  आज 2 जून है और इसी दिन एक कहावत काफी इस्तेमाल की जाती है, वो है ‘2 जून की रोटी’। इसको लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी जोक्स बन रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग बढ़ती महंगाई का विरोध इन जोक्स के साथ कर रहे हैं। कोई लिख रहा है कि आज रोटी खाना बहुत जरूरी है, क्योंकि दो जून की रोटी नसीब वालों को ही मिलती है। अब भले ही जनता अपनी पीड़ा को जोक्स के माध्यम से बयां कर रही हो लेकिन आज ये हकीकत है कि आम आदमी के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम कर पाना बेहद मुश्किल हो गया है। गरीब और गरीब अमीर और अमीर हो रहा है। वहीं अब इस मामले में उत्तराखंड में सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल ‘बहुत हुई महंगाई की मार’ का नारा भाजपा को याद दिला रहे हैं। जबकि भाजपा का कहना है कि विपक्ष को दृष्टि दोष हो गया है। विपक्ष को देखना चाहिए कि मोदी सरकार के राज में 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है।

वहीं अब इस मामले में उत्तराखंड में सियासत भी गरमा गई है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल ‘बहुत हुई महंगाई की मार’ अबकी बार मोदी सरकार का नारा भाजपा को याद दिला रहे हैं। जबकि भाजपा का कहना है कि विपक्ष को दृष्टि दोष हो गया है। विपक्ष को देखना चाहिए कि मोदी सरकार के राज में 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है। देश तेजी से विकास कर रहा है।

कुल मिलाकर बढ़ती महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ रखी है। हांलाकि सत्ता पक्ष और विपक्ष इस मुद्दे पर सियासत तो खुब करते हैं लेकिन महंगाई कम करने पर सरकार का ध्यान नहीं है। केंद्र सरकार गरीबों के लिए कई योजनाएं चला रही है और लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। कोरोनाकाल के बाद से केंद्र की मोदी सरकार गरीबों के लिए मुफ्त अनाज भी उपलब्ध करा रही है, जिससे 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को फायदा पहुंचाने का दावा कर रही है ऐसे में सवाल ये है कि क्या 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराना ही बीजेपी ने महंगाई का तोड़ मान लिया है|

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