बीजेपी विधायक को हो सकता नुकसान

चुनाव आयोग के सामने पेश किये गये प्रमाण पत्रों में गलत जानकारी देना काशीपुर के भाजपा विधायक हरभजन सिंह को भारी पड सकता है, हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में आरोप लगाए गए थे कि चीमा ने 2017 के चुनाव में नामांकन के दौरान जो तथ्य पेश किये थे उनमें गलत जानकारी पेश की गयी थी, जिसको लेकर कोर्ट ने विधायक चीमा के प्रार्थना पत्र को नामंजूर करते हुए नियमित सुनवाई का आदेश दिया है।

2017 में विधायक ने गलत तथ्य पेश किये

वर्ष 2017 में नामांकन के दौरान भाजपा के प्रत्याशी और वर्तमान में विधायक हरभजन सिंह चीमा द्वारा जो तथ्य पेश किये गये उसको गलत ठहराते हुए राजीव अग्रवाल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसपर हरभजन सिंह चीमा ने प्रार्थना पत्र पेश किया था कि याचिकाकर्ता को याचिका पेश करने का अधिकार नहीं है, जिसपर हाईकोर्ट ने चीमा के प्रार्थना पत्र को ना मंजूर कर दिया और नियमित रुप से आगे इस मामले की सुनवायी के आदेश दिये है। बताया जा रहा है कि चीमा द्वारा नामांकन के दौरान पैन कार्ड और पासपोर्ट की जन्म तिथियों में गलत तथ्य पेश किये गये है, दोनों में जन्म तिथियां समान नहीं है, यही नहीं सैल्स टैक्स की दस लाख रुपये की देनदारी की सूचना भी छुपाई गय़ी है, जिसके आधार पर चुनाव निरस्त करने की मांग की गयी थी, वहीं अब हाईकोर्ट ने इस मामले पर नियमित सुनवायी के आदेश जारी कर राजनैतिक महौल को गर्मा दिया है।

विधायक का साफ इंकार

वहीं भाजपा विधायक हरभजन सिंह चीमा का कहना है कि किसी तरह का ऐसा कोई मामला नहीं है, जिससे उनके नामांकन को चुनौती दी जा सके। वहीं उनके अनुसार कर्मचारियों और वकील की लापरवाही से गलत जानकारी चली गयी थी जिसको उन्होंने सुधार दिया था। बहरहाल 2017 के चुनावों में नामांकन निरस्त करने के लिए जो साक्ष्य देकर हाईकोर्ट में याचिका की गयी थी उस पर हाईकोर्ट ने नियमित सुनवाई का आदेश देकर राजनीतिक पारा बढ़ा दिया है, पैन कार्ड और पासपोर्ट की जन्म तिथि हो या फिर सेल्स टैक्स की देनदारी को छुपाना, यदि सही साबित होता है तो भाजपा विधायक की मुश्किलें बढ़ सकती है, वहीं देखना होगा कि आने वाले चुनावों में ये मुद्दा कितनी गर्माहट लेकर पार्टी को कितना डैमेज करता है।

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