कानपुर के सियासी मैदान में दो दिग्गजों के बीच खिंची तलवार!

मंच तो मिला,लेकिन नही मिला सांसद को बोलने का मौका
दिल्ली जाने की चाहत ने तो नहीं बढ़ा दी तकरार

मनीष श्रीवास्तव, ब्यूरो
चीफ लखनऊ,
केन्यूज़ इंडिया

लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर जहां भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व एक-एक सीट को बचाने और 80 में 80 सीट जीतने की जुगत में लगा है, तो वहीं कानपुर में सांसद सत्यदेव पचौरी और विधायक सतीश महाना के बीच पाला खिचने से कानपुर की सांसद सीट भाजपा को बचाए रखने की जुगत कुछ कमजोर पड़ती नजर आ रही है… सतीश महाना और सत्यदेव पचौरी के बीच चल रहे इस शीत युद्ध में उबाल तब देखने को मिला,जब एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम के दौरान सत्यदेव पचौरी को मंच पर स्थान तो मिला लेकिन बोलने का मौका नहीं दिया गया…कानपुर हवाई अड्डे के नए टर्मिनल के उद्घाटन का कार्यक्रम था… बीते शुक्रवार कानपुर में हुए इस कार्यक्रम के दौरान मंच पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री वीके सिंह, कानपुर के सांसद सत्यदेव पचौरी,सांसद देवेंद्र भोले, उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना समेत मौजूदा विधायक को भी मंच पर जगह दी गई… ज्योतिरादित्य सिंधिया,कर्नल वीके सिंह, सांसद देवेंद्र भोले, सतीश महाना और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंच से जनता को संबोधित किया लेकिन एक व्यक्ति को मंच पर संबोधन के लिए नहीं बुलाया गया वह नाम था कानपुर के सांसद सत्यदेव पचौरी का…. पचौरी को संबोधन के लिए ना भुलाना भूलवश नहीं बल्कि आपसी टकराव का कारण बताया जा रहा…सतीश महाना और सत्य पचौरी के बीच उठापटक बीते लंबे समय से चली आ रही है, उठापटक गुटबाजी कानपुर में खुलकर देखने को मिल रही थी लेकिन इतने बड़े कार्यक्रम के दौरान सत्यदेव पचौरी का मंच से जनता को संबोधित ना करना कई इशारे कर गया…. कुछ महीने पहले भी कार्य समन्वय की बैठक को लेकर दोनों के बीच मनमुटाव देखने को मिला था, जहां विधायक नीलिमा कटियार, अभिजीत सिंह सांगा, अमिताभ बाजपेई सुरेंद्र मैथानी और कानपुर की मेयर प्रमिला पांडे, महाना के खेमे में खड़े नजर आए थे, तो वहीं सत्यदेव पचौरी और सांसद देवेंद्र सिंह भोले एक पाली में सांसद का आरोप था कि कार्यक्रम समन्वय की बैठक बुलाने का संवैधानिक अधिकार सांसद या प्रभारी मंत्री के पास होता है ना कि विधानसभा अध्यक्ष के पास… लेकिन इसके बावजूद सतीश महाना ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जिलों के अधिकारियों के साथ बैठक की… इसके बाद मेयर प्रत्याशी को लेकर के भी दोनों के बीच विवाद गहराया…..कानपुर की मेयर रही प्रमिला पांडे को टिकट देने के लिए जहां सत्यदेव पचौरी ने विरोध किया तो वही सतीश महाना प्रमिला पांडे को टिकट दिलाने में कामयाब रहे..

 

भारतीय जनता पार्टी के भीतर विधायक और सांसद के बीच इस गुटबाजी के चलते प्रमिला पांडे जीत तो गई लेकिन सियासी घटनाक्रम में आए उतार-चढ़ाव से इतना साफ हो गया है कि आने वाला लोकसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए इतना आसान रहने वाला नहीं…. सतीश महाना बीते 9 बार से कानपुर से ही विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे….2017 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनीं तो सबसे महत्वपूर्ण विभाग औद्योगिक विकास महाना को दिया गया… 5 साल पूरे होने के बाद योगी सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरू हुआ तो सतीश महाना को विधानसभा अध्यक्ष के पद से नवाजा गया, तो वहीं सत्यदेव पचौरी भारतीय जनता पार्टी के 2017 में बनी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए गए लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें कानपुर से सांसद का टिकट मिला और वह जीतकर संसद पहुंचे…. लेकिन सतीश महाना और सत्यदेव पचौरी के बीच रिश्तों में दरार और बढ़ती गई, और अब यह टकराव खुलकर सामने आ चुका है बस इंतजार अब 2024 के लोकसभा चुनाव का है… देखना होगा, कि क्या बाजी पलटने के लिए महाना कोई ट्रंप कार्ड चलते हैं, या सत्यदेव पचौरी दोबारा सांसद बनने के लिए भारतीय जनता पार्टी से टिकट हासिल कर पाते हैं या नहीं….

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