माघ मेले में भक्तों ने लगाई आस्था की डुबकी, श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब

यूपी, प्रयागराज में होने वाले माघ मेले को अर्ध कुम्भ मेला भी कहा जाता है। इसमें कल्पवासी 45 दिन तक संगम के किनारे रहते हैं। ऐसा माना जाता है जो इस खास तिथि पर स्नान करने के लिए आते हैं वह सारे पापों से मुक्त हो जाते हैं।

माघ मेले का महत्व –

माघ मेला हिन्दुओं का धार्मिक त्योहार है। ये भगवान ब्रह्मा द्वारा ब्रह्मांड का निर्माण करने पर उसका जश्न मनाने के लिए इसका आयोजन किया जाता है। माना जाता है जो लोग इस दौरान कल्पवास का पालन करते हैं, उनके पिछले जन्म में भी किए सारे पाप धुल जाते हैं। उन्हें जन्म-मृत्यु के चक्र से भी मुक्ति मिल जाती है। बता दें, कल्पवास करने वालों को कल्पवासी कहा जाता है।

माघी पूर्णिमा पर स्नान का महत्व –

माघ मास भगवान विष्णु को अतिप्रिय है। शास्त्रों के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन श्री हरि गंगाजल में वास करते हैं इसलिए इस दिन गंगा में स्नान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन गंगाजल का स्पर्श करने मात्र से भी मनुष्य को वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति होती है। आज के दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी या घर पर ही मन में गंगा मैया का ध्यान कर स्नान करके के बाद भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की पूजा करने से व्यक्ति को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार माघ पूर्णिमा पर ही गंगा स्नान करने से पूरे वर्ष की साधना का फल मिल जाता है। इस दिन गंगा आदि सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप एवं संताप का नाश होता है, मन एवं आत्मा शुद्ध होती है। इस दिन किया गया महास्नान समस्त रोगों का नाश करके दैहिक,दैविक और भौतिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है। स्नान और दान के वक्त ‘ ॐ  नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ का मानसिक जप करते रहना चाहिए। यदि आप गंगा स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो गंगाजल के छींटे मारकर पुण्य लाभ ले सकते हैं।

दान और पूजा का महत्व –

स्नान के बाद पात्र में काले तिल भरकर एवं साथ में शीत निवारक वस्त्र दान करने से  धन और वंश में वृद्धि होती है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा करने से श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की असीम कृपा बनी रहती है। सुख-सौभाग्य, धन-संतान की प्राप्ति होती है। विद्या प्राप्ति के लिए इस दिन मां सरस्वती की विधि-विधान से पूजा कर सफ़ेद पुष्प अर्पित करके खीर का भोग लगाना चाहिए। इस दिन पितरों को तर्पण करना बहुत ही फलदायी माना गया है। ऐसा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है तथा आयु एवं आरोग्य में वृद्धि होती है। माघ पूर्णिमा पर स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा जनित दोषों से मुक्ति मिलती है।

नागा साधुओं की भीड़ देखने को मिलती है  –

डेढ़ महीने तक चलने वाले माघ मेले में नागा साधु भी देखने को मिलेंगे। जो साधु सालों-सालों तक कहीं भी नजर नहीं आते, वो भी इन दिनों में संगम पर स्नान करने के लिए आते हैं। नागा साधु काफी रहस्यों से भरे होते हैं, वो ज्यादा किसी से घुलते नहीं हैं, पूरे साल नग्न अवस्था में हिमालय पर वास करते हैं।

2023 का माघ मेला –

प्रयागराज में 6 जनवरी 2023 से माघ पूर्णिमा के स्नान इस मेले की शुरुआत हो चुकी है। बता दें की, मेले का आखिरी दिन 18 फरवरी 2023 यानी महाशिवरात्रि के दिन होगा। माघ मेले में गंगा-यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर डेढ़ महीने तक साधुओं से लेकर भक्तों तक डुबकी लगाने के लिए आते हैं।

यात्रियों के लिए किए गए इंतजाम –

यात्रियों के लिए माघ मेला में स्नान के लिए हर तरह के इंतजाम किए जाते है। हर होटल या आश्रम में लोगों  के रुकने की व्यवस्था की जाती है। प्रयागराज जंक्शन पर करीबन 10 हजार यात्री रुक सकते हैं। साथ ही आश्रमों में पूछताछ के लिए काउंटर, टिकट काउंटर, ट्रेन टाइमिंग डिस्प्ले बोर्ड, पीने का पानी, लाइट और टॉयलेट की व्यवस्था भी की जाती है।

माघ पूर्णिमा तिथि –

माघ माह पूर्णिमा तिथि 4 फरवरी को रात्रि 09 :29 मिनट से शुरू होकर  5 फरवरी रात्रि 11: 58 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार माघ पूर्णिमा 5 फरवरी 2023 को मनाई जाएगी।

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