भाजपा-कांग्रेस की लड़ाई, जीत हार पर आई !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड की केदारनाथ विधानसभा सीट में होने वाले उपचुनाव के लिए भाजपा-कांग्रेस ने अपने अपने प्रत्याशी का नाम घोषित कर दिया है। इसके तहत कांग्रेस ने जहां पूर्व विधायक मनोज रावत पर दांव खेला है तो वहीं, भाजपा ने महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आशा नौटियाल को प्रत्याशी बनाया है। मनोज और आशा, दोनों ने ही नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। भाजपा-कांग्रेस ने केदारनाथ उपचुनाव में नया प्रयोग ना करते हुए अपने पुराने प्रत्याशी पर ही दांव चला है। साथ ही दोनों ही दल जीत के भी दावे कर रहे हैँ। आपको बता दे कि आशा नौटियाल दो बार केदारनाथ की विधायक रह चुकी हैं। भाजपा के टिकट पर वह 2002 और 2007 में लगातार चुनाव जीती हैं। जबकि 2012 में भी भाजपा ने इन्हें टिकट दिया लेकिन आशा नौटियाल चुनाव हार गई थीं। वहीं 2017 में टिकट नहीं मिला तो वह निर्दलीय मैदान में उतर गई थी। हालांकि बाद में फिर भाजपा में वापसी हुई और पार्टी ने उन्हें महिला मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत की बात करें तो मनोज रावत ने पत्रकारिता से अपने करिअर की शुरुआत की थी। और 2017 में प्रचंड मोदी लहर के बाद भी वह केदारनाथ का चुनाव जीते थे जबकि 2022 के चुनाव में वह तीसरे स्थान पर रहे थे। कुल मिलाकर मनोज रावत और आशा नौटियाल में चुनावी जंग होगी

केदारनाथ विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए भाजपा-कांग्रेस ने अपने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। इस चुनावी दंगल को जीतने के लिए दोनों ही दलों ने कोई नया प्रयोग नहीं किया है। भाजपा-कांग्रेस ने वोकल फॉर लोकल की थीम पर ही अपने पुराने चेहरे ही दांव चला है। कांग्रेस ने जहां पूर्व विधायक मनोज रावत पर दांव खेला है तो वहीं, भाजपा ने महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष आशा नौटियाल को प्रत्याशी बनाया है। मनोज और आशा, दोनों ने ही नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है। आपको बता दे कि आशा नौटियाल दो बार केदारनाथ की विधायक रह चुकी हैं। जबकि मनोज रावत 2017 में प्रचंड मोदी लहर के बाद भी केदारनाथ से जीतने में कामयाब हुए थे।

आपको बता दें कि इसी साल नौ जुलाई को केदारनाथ से भाजपा विधायक शैलारानी रावत के निधन के कारण केदारनाथ विधानसभा सीट खाली हुई थी। वहीं चुनावी तारीखों के ऐलान के साथ ही भाजपा-कांग्रेस में खुलकर नाराजगी और गुटबाजी भी देखने को मिल रही है। हांलाकि भाजपा कांग्रेस इस गुटबाजी से इंकार करते हुए भारी बहुमत से जीत के दावे कर रहे हैं। बता दें कि आशा नौटियाल दो बार केदारनाथ की विधायक रह चुकी हैं। जबकि मनोज रावत एक बार विधायक रह चुके हैं।

कुल मिलाकर केदारनाथ उपचुनाव के लिए समय बेहद कम है। वहीं भाजपा-कांग्रेस ने अपने पुराने चेहरों पर ही दांव चला है। दोनों ही दलों के लिए केदारनाथ का चुनाव जीतना बेहद महत्वपूर्ण है। और इसके नतीजों की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर होने जा रही है। ऐसे में देखने होगा कि केदारनाथ का चुनावी दंगल कौन जीतने जा रहा है।

 

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