न्यूनतम वेतनमान को लेकर सरकार के विरोध में आशा कार्यकत्रियों की निकलेगी विशाल रैली

उत्तराखंड, देहरादून: लंबे समय से अपनी मांगों को सरकार के समक्ष रख आशा कार्यकत्रियों का सब्र अब टूट चुका है, जिसके चलते उन्होंने एक बड़ा निर्णय लिया। आगामी 11 मार्च को आशा कार्यत्रियों व आशा फैसिलिटेटर भारतीय मजदूर संघ के बैनर तले सरकार के विरोध में विशाल रैली निकालेंगी। आशा स्वास्थ्य कार्यकत्री व आशा फैसिलिटेटर सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं को घर घर तक पहुंचाती हैं। लेकिन इसके बदले उन्हें दिया जाने वाला इंसेंटिव राशि इतनी न्यूनतम होती है कि उससे उनका व उनके परिवार का भरण पोषण नहीं चल पाता। अपनी समस्याओं के संबंध में बताते हुए ललितेश विश्वकर्मा आशा स्वास्थ्य संगठन प्रदेश महामंत्री ने कहा कि साल 2005 के दौरान हमें डिलीवरी करने का ₹500 मिलता था उसे घटाकर 400 कर दिया गया। इसके अलावा हमें 100 से डेढ़ सौ रुपया और मिलता था जिसे घटाकर ₹50 कर दिया गया। उन्होंने कहा कि इस महंगाई के दौर में जहां सभी वस्तुओं के दाम बढ़ रहे हैं, ऐसे में हमें दी जाने वाली धनराशि को लगातार घटाया जा रहा है उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि हमें मिलने वाला इंसेंटिव 5 गुना बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार के द्वारा हमसे 59 काम लिए जाते हैं लेकिन हमें कुछ ही कामों के पैसे दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि इतनी न्यूनतम इंसेंटिव में घर परिवार का गुजारा भत्ता चलाने में संकट आ रहा है, इसलिए हम मजबूर होकर हड़ताल को बाध्य हो गए हैं।

वहीं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अखिल भारतीय आशा कर्मचारी महासंघ की रेनू नेगी ने कहा कि आशा व आशा फैसिलिटेटर स्वास्थ्य विभाग के जनहित के कार्यों को धरातल पर उतरती है। उन्होंने कहा की यह अफसोस की बात है कि भारत सरकार की स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं को हम घर-घर पहुंचाती हैं लेकिन हमारा कोई वेतनमान अब तक नहीं है ना ही हमें परिवहन का कोई बता दिया जाता है और ना ही कोई सामाजिक सुरक्षा हमारे लिए उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि एक और जहां सरकार नारी सशक्तिकरण की बात करती है वहीं दूसरी ओर हम महिलाओं के साथ उत्पीड़न किया जा रहा है इसलिए शासन को बार-बार बताने के बावजूद हमारी मांगों को नहीं माना जा रहा है मजबूरन होकर हमने विरोध प्रदर्शन का सहारा लिया।

इस दौरान भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री सुमित सिंगल ने भी आशा व आशा फैसिलिटेटर की मांगों को जायज ठहराते हुए कहा कि सरकार को उन्हें राज्य कर्मचारियों का दर्जा देकर पीएफ व अन्य लाभ देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी मांगों को उठाने के लिए जो उनकी जो सरकार द्वारा नहीं मानी गई अब 11 मार्च को रैली निकाली जाएगी जिसमें 10 से 12000 आशा व आशा फैसिलिटेटर प्रतिभाग करेंगी और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर अपनी मांगों को रखेंगी।

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