किसान संगठनो के तमाम दावों के बाद भी प्रदेश में बेअसर रहा भारत बंद!

प्रदेश में खासा असर नहीं छोड़ पाया बंद

उत्तरप्रदेश- केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा लाये गये तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ बीते करीब 1 साल से चल रहे प्रदर्शनकारी किसान नेताओं द्वारा  सोमवार को बुलाये गये भारत बंद का प्रदेश में कोई खासा असर देखने को नहीं मिला। हालात ये रहे कि प्रदेश के ज्यादातर जिलों में बुलाया गया बंद कोई खासा कामयाब नहीं हो सका और असफल रहा। सूत्रों से मिली खबर के मुताबिक ये बंद प्रदेश के पश्चिमी यूपी क्षेत्र को छोड़कर अवध क्षेत्र, पूर्वांचल व बुंदेलखंड के जिलों में कोई खास असर नहीं छोड़ पाया। इन क्षेत्रों की ज्यादातर दुकानें खुली रहीं, और बांकी दिनों की तरह कारोबार उसी तरह चलता रहा।

पश्चिमी यूपी में भी रहा मिला जुला असर

पश्चिमी यूपी के कद्दावर किसान नेता राकेश टिकैत के अपने गढ़ जनपद मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत, बड़ौत, व सहारनपुर आदि जनपदों में भी बंद का मिलाजुला असर रहा। हाँलाकि किसान नेताओं ने इन जिलों में  रेलवे ट्रैक व सड़क जाम कराकर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन जरूर किया। इन जनपदों में बवाल की आशंका के मद्देनजर व्यापारियों ने ज्यादातर दुकानों को बंद रखा, जिसकी वजह से ज्यादातर कारोबार ठप रहा। हांलाकि कोरोना की पहले से मार झेल रहे छोटे व्यापारियों के मुताबिक उन्होने कुछ घंटों तक तो जरूर बंद को समर्थन दिया लेकिन दोपहर बाद उन्होने दुकानों को खोलकर थोड़ा बहुत व्यापार किया।

क्या बोले किसान नेता टिकैत

किसान नेता राकेश टिकैत ने बंद का मिलाजुला असर होने के सवाल पर कहा कि देश के लगभग 25 राज्यों में बंद सफल रहा, इसके आगे उन्होने कहा कि अब सब कुछ तो बंद नहीं करा सकते क्योंकि लोगों की परेशानियों को ध्यान में रखकर हमें भी काम करना पड़ता है। इसके साथ ही उन्होने केन्द्र सरकार से बात करने की बात दोहराते हुये कहा कि सरकार अगर हमें  बातचीत के लिये बुलाती है तो हम बातचीत के लिये तैयार हैं। उधर केन्द्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने भी कहा कि अगर किसान नेता बातचीत के लिये आते हैं तो हम भी बातचीत के लिये तैयार हैं।

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