बंद हुई पाकिस्तान की सबसे बड़ी ऑयल रिफाइनरी, विदेशी डॉलर भी ना के बराबर बचें

कानपुर- पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लगातार टूटती जा रही है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार भी लगभग खत्म होने के कगार पर पहुंच गया है। विदेशों मित्र देशो से भी उसे कोई मदद नहीं मिल पा रही है। हालात यहाँ तक पहुँच गयी  हैं कि अब अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए उसके पास कच्चा तेल भी नहीं बचा है। डॉलर खत्म होने से पाकिस्तान की सबसे बड़ी रिफाइनरी में कच्चा तेल खत्म होने से ताला लग चुका है। ऑयल कंपनी एडवाइजरी कांउसिल के मुताबिक अगर तुरंत कच्चे तेल के आयात का प्रबंध नहीं किया गया तो सभी उद्योग धंधे बर्बाद हो जाएंगे और सबकुछ खत्म हो जाएगा।

पाकिस्तान की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी सेनेरजिएको का कच्चा तेल पूरी तरह खत्म हो गया। इसके बाद इसमें ताला भी लगा दिया गया है। कंपनी के कंज्‍यूमर हेड सेल्‍स सैयद अदील आजम ने पाकिस्तान के पेट्रोलियम मंत्रालय को इस संबंध में चिट्ठी भी लिखी। इस चिट्ठी में लिखा गया है कि 10 फरवरी से पहले यहां काम शुरू होना संभव नहीं है। कच्चे तेल के कुछ जहाज आने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके बाद भी इसे चालू किया जा सकेगा या नहीं इसका कोई अनुमान अभी नहीं लगाया जा सकता है। बता दें कि इस कंपनी की क्षमता प्रति दिन 156,000 बैरल कच्‍चे तेल को प्रॉसेस करने की है।

पाकिस्तान के रुपये की कीमतों में लगातार गिरावट आ रही है। जिसके चलते तेल के दाम बढ़ने से बैंकों ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। रुपये की कीमतों में गिरावट के चलते एलसी की सीमा घटकर  15 से 20 फीसदी ही रह गई है। ऑयल कंपनी एडवाइजरी कांउसिल की तरफ से पिछले दिनों ऑयल एंड गैस रेगुलेटरी अथॉरिटी की चिट्ठी भी लिखी गई थी। बता दें कि इस बार पाकिस्तान की तेल कंपनियों को 4.6 बिलियन डॉलर का घाटा हो चुका है। आईएमएफ की एक टीम पाकिस्तान में है और वो रिव्यू मीटिंग कर रही है। अगर रिव्यू मीटिंग में पाकिस्तान आईएमएफ के सभी शर्तों को मानने के लिए तैयार हो जाता है तो उसे 7 अरब डॉलर की मदद मिल सकती है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने शुक्रवार को बताया कि उसके पास फिलहाल 3.09 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार ही बचा है। वहीं 5.65 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार कमर्शियल बैंकों के पास है। इतनी विदेशी मुद्रा से विदेशों से सामान लेने का पाकिस्तान का काम केवल तीन हफ्तों के लिए चल सकता है। पाकिस्तान को अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए अब आईएमएफ से ही आखिरी उम्मीद बची है। हालांकि आईएमएफ ने भी मदद देने से पहले पाकिस्तान के सामने कई शर्तें रख दी हैं।

अब देखने वाला होगा कि क्या पाकिस्तान आईएमएफ की शर्तो को मानेगा या नहीं

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