कन्यापूजन करते समय ना करें ये गलतियां, रुष्ट हो सकती हैं माता

KNEWS DESK :  कन्या पूजन में कन्याएं जिस स्थान पर बैठने वाली होता है, वहां की सफाई अच्छे से कर लेनी चाहिए. सबसे पहले कन्याओं के दूध से पैर पूजने चाहिए. चरण पूजा में अक्षत, पुष्प और कुंकुम प्रयोग करें.

चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन कन्यापूजन किया जाता है. इस वर्ष 29 मार्च यानी आज अष्टमी (Ashtami) तिथि है. महाष्टमी पर मान्यतानुसार मां महागौरी की पूजा की जाती है. माता की पूजा के पश्चात विधि-विधान से घर में कन्यापूजन (Kanya Pujan) होता है. कन्यापूजन करने के लिए आस-पड़ोस की बालिकाओं को घर में निमंत्रण दिया जाता है और उनकी पूजा कर प्रसाद खिलाया जाता है और उपहार दिए जाते हैं. माना जाता है कि बालिकाएं साक्षात मां दुर्गा का रूप होती हैं और इसीलिए नवरात्रि के नौ दिनों की भांति ही घर में नौ बालिकाओं को बुलाते हैं. परंतु, भक्त जाने-अनजाने नासमझी में ऐसी कई गलतियां कर बैठते हैं जिनसे मां दुर्गा प्रसन्न होने के बजाय क्रोधित भी हो सकती हैं. अगर आप भी अष्टमी पर कन्यापूजन कर रहे हैं तो कुछ गलतियों को करने से बचें.

कन्या की उम्र  नवरात्रि में कन्या पूजा में कन्या यानि दो से दस साल की उम्र की लड़कियों को ही बैठना चाहिए. वैसे तो नवरात्रि में कन्या भोजन के लिए 9 अंक सही माना जाता है, लेकिन लोग अपने हिसाब से इस संख्या को बढ़ाते या घटाते हैं. जो गलत नहीं है. अब, 9 कन्याएं ही क्यों? इसकी वजह ये है कि 9 कन्याओं की देवी के 9 रूप मानकर पूजा की जाती है. साथ ही कन्या पूजन के समय टीका लगाकर उनके हाथों में रक्षा सूत्र अवश्य बांधें.
उसके बाद उन्हें या तो उपहार या दक्षिणा देनी चाहिए. अंत में उनके पैर छूकर उनसे आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए.

कन्या पूजन के दिन कन्याओं को फल जरुर देने चाहिए. अपनी श्रद्धा अनुसार पूजन में ही देवी माँ को अर्पण किए गए फल कन्याओं को देने चाहिए. लाल रंग को वृद्धि और प्रेम का प्रतीक माना जाता है. कन्याओं को उपहार के रूप में लाल वस्त्र देने का विशेष महत्व है. अगर किसी वजह से आप लाल वस्त्र देने में असमर्थ है तो सभी कन्याओं को लाल रंग की चुनरी दे सकते हैं. इसके साथ ही लाल रंग माँ की पोशाक का रंग होने के कारण भी बेहद शुभ माना जाता है. कन्या पूजन एवं भोजन में एक मिठाई अवश्य शामिल करें. अगर किसी वजह से आप मिष्ठान शामिल न कर सकें तो घर में साफ-सुथरे ढंग से बनाया हुआ सूजी या फिर आटे का हलवा भी माता का भोग लगाकर कन्याओं को खिला सकते हैं.

कन्या पूजन के दिन कन्याओं को श्रृंगार सामग्री जरुर देनी चाहिए. हेयर बैंड, रबर बैंड, स्मॉल मेकअप किट, चूड़ियां, बिन्दी वगैरह के रूप में पहले माता को अर्पित करनी चाहिए और उसके बाद कन्याओं के देनी चाहिए. कन्याओं द्वारा ग्रहण की गई श्रृंगार सामग्री शीघ्र देवी माँ द्वारा स्वीकार कर ली जाती है. कन्या के विद्या प्राप्ति मार्ग में आप सहायक बनना चाहें तो उन्हें आप पेन, पेंसिल, इरेजर, शार्पनर, कॉपी, डायरी, कार्टून बुक, ड्रॉइंग बुक, स्टोरी बुक, पेंसिल बॉक्स, लंच बॉक्स वगैरह दे सकते हैं.

कन्या पूजन में कन्याएं जिस स्थान पर बैठने वाली होता है, वहां की सफाई अच्छे से कर लेनी चाहिए. सबसे पहले कन्याओं के दूध से पैर पूजने चाहिए. चरण पूजा में अक्षत, पुष्प और कुंकुम प्रयोग करें.  इसके बाद भगवती का ध्यान करते हुए मां दुर्गा को भोग लगाएं फिर कन्याओं को भोजन करवाएं. सबको खाने के लिए प्रसाद देना चाहिए. अधिकतर लोग इस दिन प्रसाद के रूप में हलवा-पूरी देते हैं. जब सभी कन्याएं खाना खा लें तो उन्हें दक्षिणा अर्थात उपहार स्वरूप कुछ देना चाहिए फिर सभी के पैर को छूकर आशीर्वाद लें.  इसके बाद इन्हें सम्मान से विदा करना चाहिए और हो सके तो जिम्मेदारी से उनको अपने अपने घर तक पहुंचा कर आना चाहिए.

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