तालिबान रिटर्न्स

तालिबान के हुकूमत में आते ही क्रूर चेहरा सामने आने लगा है….महिलाओं और मजलूमों के साथ बर्बरता का सिलसिला चल निकला है। जहां एक ओर सरेंडर कर चुके अफगान कमांडर के हाथ-पैर बांधे और फिर उसे गोलियों से भून डाला। तो वहीं बदगिस के पुलिस प्रमुख हाजी मुल्ला को सरेआम गोलियों ने भून डाला, मरने के बाद भी क्रूर तालिबानी डेड बॉडी पर फायरिंग करते रहे। इस घटना का वीडियो सामने आया है। इसमें तालिबानियों ने हाजी मुल्ला के दोनों हाथ बांधकर घुटनों के बल किसी सूनसान जगह पर बैठा रखा है। उनके हाथ भी बंधे हुए हैं। तालिबानी स्थानीय भाषा में कुछ बोल रहे हैं। कुछ देर बाद हाजी मुल्ला पर दनादन गोलियां दाग दी जाती हैं। तालिबान यहीं नहीं रुका रहा। इससे पहले बुधवार को भी एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमे तालिबान ने अफगानी सेना के 4 कमांडरों को कंधार के एक स्टेडियम में भीड़ के सामने मौत के घाट उतार दिया था। सूत्रों की माने तो इन कमांडरों ने 13 अगस्त को तालिबान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था बावजूद इसके उन्हें कत्ल कर दिया गया। तालिबान का खूनी खेल बढ़ता ही जा रहा है। तालिबानी लड़ाकों के नाखून उखाड़ लेने वाले अफगानी कमांडर को भी तालिबान ने ढेर कर दिया। इसके साथ ही तालिबान समर्थकों ने कंधार में शाह वली कोट के पुलिस प्रमुख पाचा खान को भी मार दिया। तालिबान समर्थकों का कहना था कि पाचा खान एक खूंखार कमांडर था जो तालिबान लड़ाकों के नाखून निकाल लेता थातालिबान ने इन्हें आम माफी की घोषणा करने से पहले मारा है।

राजधानी काबुल पर तालिबानी कब्जा

तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर अपना झंडा गाड़ दिया था। तालिबानी हुकूमत के ठीक पांचवें दिन यानी 19 अगस्त को अफगानिस्तान अपनी आजादी मना रहा है। तो वहीं दूसरी ओर तालिबानी हुकूमत के खिलाफ आजादी के दिन कई इलाकों में लोग तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन कर अफगानिस्तान का झंडा लहराते हुए दिखाई दे रहे हैं। प्रदर्शनों का दौर तेजी से बढ़ रहा है जिसमें खासकर महिलाएं हिस्सा ले रही हैं। जहां तालिबान का विरोध बढ़ रहा है तो वहीं सालेह का समर्थन। पाकिस्तान से सटे अफगानी प्रांत कुनार की राजधानी असादाबाद में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर निकाली जा रही रैली में लोग अफगानी झंडा लहरा रहे थे। इन पर तालिबान ने फायरिंग कर दी, जिससे भगदड़ मच गई। हिंसा में दो लोग मारे गए। राजधानी काबुल के पश्तूनिस्तान चौक पर भी तालिबान विरोधियों ने अफगानिस्तान का राष्ट्रीय झंडा लहराया है। जलालाबाद में भी बुधवार को राष्ट्रीय झंडे के साथ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर तालिबान ने फायरिंग की थी। इसमें तीन लोग मारे गए थे। यहां पत्रकारों को भी पीटा गया था। इस बीच तालिबान ने कहा है कि अफगानिस्तान का झंडा अब नई बनने वाली तालिबानी सरकार ही तय करेगी।

पाकिस्तान का खुला समर्थन

तालिबान की क्रूरता की तस्वीरें पूरी दुनिया देख रही है, लेकिन पाकिस्तान उसका खुला समर्थन कर रहा है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि अफगानिस्तान में अशरफ गनी की सरकार ने तालिबान के खिलाफ जो प्रोपेगैंडा चलाया था, वह झूठा साबित हुआ है। कुरैशी का कहना है कि तालिबान के अभी तक उठाए गए शांतिपूर्ण कदमों का स्वागत करते हैं। जिसके बाद पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने सोशल मीडिया के जरिए कहा है- ‘सभी देशों को कानूनी कायदों का सम्मान करना चाहिए, हिंसा का नहीं। अफगानिस्तान इतना बड़ा है कि पाकिस्तान इसे निगल नहीं सकता और तालिबान इस पर शासन नहीं कर सकता। ‘सालेह ने ये भी कहा है कि राष्ट्रध्वज फहराने वालों और देश के सम्मान के लिए आगे आने वालों को सलाम करते हैं।

तालिबानी फरमान जारी

तालिबान ने अफगानिस्तान के सरकारी मीडिया को भी अपने हिसाब से चलाना शुरू कर दिया है। महिला एकंर्स को हटा दिया गया है। सरकारी चैनल पर इस्लामी संदेश सुनाए जा रहे हैं। निजी चैनलों ने भी पॉप म्यूजिक और वेस्टर्न कल्चर वाले शो बंद कर दिए हैं। इन सबके बीच अमेरिकी राष्ट्रपति का बड़ा बयान सामने आया है। जो बाइडेन ने कहा है कि सभी अमेरिकियों के अफगानिस्तान से निकाले जाने तक हमारे सैनिक हटाए नहीं जाएंगे। भले ही ये डेडलाइन 31 अगस्त के बाद भी बढ़ानी पड़े। काबुल एयरपोर्ट पर अफरातफरी का माहौल बना हुआ है। अमेरिका अपने लोगों को एयरलिफ्ट करने में लगा है। अफगानिस्तान के हजारों लोगों को तालिबान गेट पर ही रोक रहा है। ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि कुछ महिलाएं अपने बच्चों को कंटीले तारों के ऊपर से एयरपोर्ट की तरफ फेंक रही हैं, ताकि दूसरी तरफ अमेरिकी सैनिक उन्हें कैच कर सकें और वे एयरपोर्ट के अंदर पहुंच जाएं।

तालिबान के इरादे जाहिर

अफगानिस्तान में सत्ता संभालने में जुटे तालिबान ने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। तालिबानी नेता वहीदुल्लाह हाशिमी ने कहा है कि अफगानिस्तान में कोई लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं होगी, क्योंकि यहां इसका कोई वजूद नहीं है। हाशिमी ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा है कि तालिबान को ये बताने की जरूरत नहीं कि अफगानिस्तान की हुकूमत कैसी होगी, क्योंकि ये एकदम साफ है। यहां शरिया कानून चलेगा।

 

 

 

 

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