निठारी कांड में दोषी पाए गए सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर तमाम मामलों में बरी, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

KNEWS DESK- नोएडा के चर्चित निठारी कांड में दोषी पाए गए सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को तमाम मामलों में बरी कर दिया गया है। आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया है। जानकारी के लिए आपको ये भी बता दें कि इससे पहले निचली अदालत ने इन्हें फांसी की सजा सुनाई थी। सुरेंद्र कोली को 12 और मनिंदर सिंह पंढेर को दो मामलों में मिली फांसी की सजा को हाईकोर्ट ने रद्द किया। हाईकोर्ट ने गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट द्वारा सुनाई गई फांसी की सजा रद्द की। हाईकोर्ट ने दोनों आरोपियों को इन मामलों में बरी किया।

निठारी कांड में सीबीआई ने 16 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से सुरेंद्र कोली को 14 मामलों में फांसी की सजा मिल चुकी है। जबकि मनिंदर सिंह पंढेर के खिलाफ 6 मामले दर्ज थे, इनमें से 3 मामलों में फांसी की सजा सुनाई गई थी। दो मामलों में वह पहले ही बरी हो गया था। हाईकोर्ट ने दोनों दोषियों की 14 अर्जियों पर फैसला सुनाया। सुरेंद्र कोली ने 12 मामलों में मिली फांसी की सजा के खिलाफ अपील दाखिल की थी। जबकि मनिंदर सिंह पंढेर ने दो मामलों में मिली सजा के खिलाफ अर्जी दाखिल की थी।

इस आधार पर किया गया बरी

हाईकोर्ट ने सीधे तौर पर कोई सबूत और गवाह नहीं होने के आधार पर दोषियों को बरी किया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से सीबीआई को बड़ा झटका लगा।  हालांकि रिंपा हलदर मर्डर केस में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने ही सुरेंद्र कोहली की फांसी की सजा को बरकरार रखा था। इन्हीं सबूतों के आधार पर रिंपा हलदर मर्डर केस में दोनों को फांसी की सजा मिली थी। अर्जियों पर हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने 15 सितंबर को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था। जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस एस एच ए रिजवी की डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाया। साल 2006 में निठारी कांड का खुलासा हुआ था।

हाईकोर्ट में 134 कार्य दिवसों में अपील पर सुनवाई हुई थी। सुरेंद्र कोली की मौजूदा बारह में से पहली याचिका साल 2010 में दाखिल की गई थी। हालांकि इन याचिकाओं के अलावा भी हाईकोर्ट कोली की कुछ अर्जियों को निस्तारित कर चुका है। एक मामले में फांसी की सजा को बरकरार रखा गया है जबकि एक अन्य मामले में देरी के आधार पर उसे उम्र कैद में तब्दील किया जा चुका है। आरोपियों की तरफ से कोर्ट में दलील दी गई है कि इस घटना का कोई चश्मदीद गवाह नहीं है। सिर्फ वैज्ञानिक व परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर उन्हें दोषी ठहराया गया है और फांसी की सजा दी गई थी। फांसी की सजा को रद्द किए जाने की अपील की गई थी। मनिंदर सिंह पंढेर एक मामले में हाईकोर्ट से पहले बरी हो चुका था।

क्या है निठारी कांड?

दिसंबर 2006 में नोएडा के निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पास नाले में कंकाल मिले थे। इसके बाद पुलिस ने जांच की तो कई बच्‍चों के अपहरण, दुष्‍कर्म और हत्‍या की दर्दनाक कहानियां सामने आईं। सीबीआई ने इस मामले में कुल 16 केस दर्ज किए थे।

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