राजस्थान : सीएम गहलोत और मंत्री अशोक चंदना के बीच हुई बहस,स्पीकर जोशी को करना पड़ा बीच-बचाव

KNEWS DESK… राजस्थान में कांग्रेस की वाॅर रुम में जमकर हंगामा हुआ. सीएम गहलोत ने कैबिनेट मंत्री अशोक चांदना को जमकर फटकार लगाई. अशोक चांदना अपनी मांग को लेकर पिछले दिनों बूंदी में धरने पर बैठ गए थे.

आपको बता दें कि कांग्रेस की कैंपेन कमेटी की बैठक में सीएम गहलोत अशोक चांदना पर जमकर भड़के. सीएम गहलोत ने प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को अशोक चांदना को नोटिस देने के लिए भी कहा है. जयपुर स्थित कांग्रेस के वॉर रूम में कांग्रेस की कैम्पेन कमेटी की मीटिंग में मुख्यमंत्री और केबिनेट मंत्री अशोक चांदना के बीच अचानक बहस हो गई. इससे मीटिंग में मौजूद नेता सकते में आ गए. कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि मीटिंग में अचानक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कैबिनेट मंत्री अशोक चांदना पर बरस पड़े. दरअसल मीटिंग लगभग पूरी होने को थी तभी अचानक से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खेल मंत्री अशोक चांदना को टोका और कहा कि आप धरने पर क्यों बैठे थे? इस पर चांदना ने पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री को जवाब दे डाला. चांदना ने कहा कि जब धरना-प्रदर्शन करने से ही हमारे काम होते हैं तो क्या करें. चांदना का जवाब सुनकर गहलोत नाराज हुए और चंदना से कहा कि अगर कोई परेशानी थी तो मुझे कह सकते थे. इस बात पर चांदना ने फिर से मुख्यमंत्री को पलटकर जवाब दिया और कहा कि एक ट्रांसफार्मर के लिए मुख्यमंत्री को कहना पड़े तो मेरे मंत्री होने का क्या मतलब है. ऐसे मंत्री पद का कोई मतलब ही नहीं है. चांदना ने सीएम को यहां तक कह दिया कि आप ही रख लो मंत्री पद. इसके बाद नाराज गहलोत ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से कहा कि ऐसे धरना देने वाले मंत्री को नोटिस दिया करें.

स्पीकर सीपी जोशी को करवाना पड़ा बीच-बचाव

जानकारी के लिए बता दें कि सीएम अशोक गहलोत और चांदना के बीच बहस को बढ़ता देख बैठक में मौजूद स्पीकर सीपी जोशी ने अशोक चांदना को टोका और चुप रहने की हिदायत दी और दोनों के बीच स्पीकर सीपी जोशी बीच बचाव करते नजर आए. बैठक में सीएम गहलोतऔर कैबिनेट मंत्री के बीच हुई तनातनी से यह बात तो साफ है कि कांग्रेस में भी अंदरखाने सब कुछ ठीक नहीं है और आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदार कई बड़े नामों पर आलाकमान कड़े निर्णय ले सकता है. गहलोत पिछले दिनों राहुल गांधी से हुई बैठक में साफ कह चुके हैं कि प्रदेश में टिकटों के बंटवारे को लेकर बड़े निर्णय लेने पड़ेंगे. इसका साफ मतलब है कि टिकट बंटवारे में सरकार के खिलाफ जाने वाले मंत्री विधायकों का टिकट कटना तय माना जा रहा है.

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