64 घंटे बाद यूपी के बिजली कर्मियों ने खत्म की हड़ताल… ऊर्जा मंत्री के साथ बैठक के बाद लिया निर्णय

 

लखनऊ, यूपी के 1 लाख बिजली कर्मी जो बीते गुरूवार से हड़ताल पर थे. उन्होंने अब अपनी हड़ताल को खत्म करने की घोषणा कर दी है. ये घोषणा कर्मचारी संघ ने ऊर्जा मंत्री के साथ हुई बैठक के बाद लिया है.

यूपी सरकार में ऊर्जा मंत्री एके शर्मा एवं चेयरमैन एम देवराज से वार्ता होने के बाद रविवार दोपहर संघर्ष समिति हड़ताल खत्म करने की घोषणा कर दी है. संघर्ष समिति और कारपोरेशन सोमवार को हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखेगा. हड़ताल खत्म होने की घोषणा के बाद ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा कि सरकार की ओर से कर्मचारियों की सभी मांगों पर सकारात्मक तरीके से विचार किया जा रहा है. सरकार पहले भी वार्ता के लिए तैयार थी और आज की वार्ता सकारात्मक रही है. सभी कर्मचारियों से अपील है कि तत्काल काम पर लौट जाएं. उन्होंने आश्वासन दिया कि कर्मचारियों पर हुई कार्यवाही को विधिक तरीके से वापस लिया जाएगा. संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि हम किसी भी कीमत पर उपभोक्ताओं को नुकसान नहीं देना चाहते हैं. कर्मचारी हक की लड़ाई लड़ते रहेंगे अभी समझौते को लागू करने का आश्वासन दिया गया है. इस वजह से हड़ताल वापस ले रहे हैं.

 

करीब तीन हजार संविदा कर्मी किए गए थे बर्खास्त

हड़ताल से बिजली आपूर्ति में बाधा पहुंचने के कारण प्रदेश में पावर कॉरपोरेशन ने 16 अधिशाषी अभियंता, अवर अभियंता और एसडीओ को निलंबित कर दिया था और तीन हजार से ज्यादा संविदा कर्मियों को बर्खास्त कर दिया था. 22 कर्मचारी नेता समेत कुल 29 के खिलाफ आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. वहीं, हड़ताल से पूर्वांचल सहित प्रदेश के विभिन्न इलाकों में प्रभाव पड़ रहा था. कई जगह बिजली कर्मी फीडर बंद करके गायब हो गए थे. ऐसे में बिजली उत्पादन होने के बाद भी आपूर्ति व्यवस्था ध्वस्त रही और आम जनता त्रस्त रही.

 

उद्योगों को लगा झटका

हड़ताल की वजह से प्रदेश के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों शनिवार को भी उत्पादन प्रभावित हुआ. उद्यमियों का कहना था कि अभी तक छिटपुट कटौती का सामना करना पड़ा है, लेकिन हड़ताल लंबी चली तो समस्या ज्यादा बढ़ सकती है. इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन के अधिशासी निदेशक डीएस वर्मा ने बताया कि कानपुर, वाराणसी सहित कई जगह से बिजली समस्या की शिकायतें मिलीं. वहीं, इस दौरान निगमों की ओर से भरोसा दिया जाता रहा कि उद्योगों को पहले की तरह बिजली मिलती रहेगी.

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