KNEWS DESK.. उत्तर प्रदेश के वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ASI सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। जिसे मुस्लिम पक्ष के लिए बड़ी राहत मानी जा रही है। जिला जज के एके विश्वेश के आदेश के बाद ASI की 42 सदस्यीय टीम आज सुबह 7 बजे ज्ञानवापी का सर्वे करने पहुंची हुई थी। लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इस पर रोक की मांग को लकेर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने ASI सर्वे पर दो दिन के लिए रोक लगाते हुए मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा है।
दरअसल आपको बता दें कि जिला जज एके विश्वेश ने शुक्रवार को मस्जिद परिसर का ASI सर्वा कराने का आदेश दिया था। ASI को 4 अगस्त तक सर्वे की रिपोर्ट जिला अदालत को देनी थी। जानकारी के लिए बता दें कि जिला जज का आदेश मानते हुए ASI की टीम सर्वे के लिए आज सुबह 7 बजे ज्ञानवापी पहुंची थी। ASI ने सर्वे के लिए 4 टीमें बनाई थी। चातों टीमें अलग-अलग स्थानों पर सर्वे करने पहुंची हुई थी। पहली टीम पश्चिमी दीवार के पास, दूसरी टीम गुबंदों का सर्वें के लिए तो वहीं पर तीसरी टीम मस्जिद के चबूतरे का और चौथी टीम परिसर का सर्वे करने पहुंची हुई थी। तभी मुस्लिम पक्ष के द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की इस पर सुप्रीम कोर्ट ने ASI सर्वे टीम का पक्ष मांगा है ।
सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी सर्वे पर रोक लगाई
26 जुलाई तक ASI सर्वे पर अंतरिम रोक#GyanvapiSurvey #GyanvapiCase pic.twitter.com/2mDxUQL8MR
— Knews (@Knewsindia) July 24, 2023
AIMPLB ने सुप्रीम कोर्ट में सर्वे के खिलाफ दायर की याचिका
बता दें कि AIMPLB सदस्य और ईदगाह मौलाना खालिद रशीद फिरंगी ने बताया कि ज्ञानवापी के ASI सर्वेक्षण का विरोध किया. उन्होंने कहा, सर्वे के लिए वाराणसी कोर्ट ने जरूर ऑर्डर किया है लेकिन मुस्लिम पक्ष ने वहां पर सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही केस एप्लाई किया है, वह चाहते हैं कि पहले सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट आ जाए और उसके बाद अगर कुछ होता तो बेहतर होता. यह मुनासिब नहीं था कि सुबह-सुबह सर्वे शुरू कर दिया गया। एक बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ जाता तो मुनासिब था। खालिद रशीद ने आगे कहा कि कोई भी मस्जिद कभी किसी भी इबादत गाह को गिरा कर बनाना इस्लामिक तौर पर इजाजत नहीं देता है। यह कहना की मस्जिद कब्जा कर बनाई गई यह बेबुनियाद बात है। अगर इतिहास में जायेगे तो और भी बहुत बातें निकलनेगी तो इसपर बात न करें तो बेहतर। मस्जिद के जिम्मेदार लोग जो है वह इस केस को लड़ रहे हैं ,पर्सनल लॉ बोर्ड इस केस को माॅनिटर कर रहा है। पूरी तरीके से मस्जिद कमेटी के साथ है।
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2021 में दायर हुई सबसे पहली याचिका
गौरबतल हो कि अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज के सामने एक याचिका दायर की गई थी। श्रृंगार गौरी व अन्य धार्मिक स्थलों पर नियमित पूजा-अर्चना की हिंदू पक्ष की ओर से ज्ञानवापी परिसर में अनुमति देने की मांग की गई थी।
जानकारी के लिए बता दें कि महिलाओं की याचिका पर जज रवि कुमार दिवाकर ने मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश पर पिछली साल तीन दिन तक सर्वे हुआ था। सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने यहां पर शिवलिंग मिलने का दावा किया था। दावा में कहा गया था कि मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग है। वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष के द्वारा कहा गया था कि वो शिवलिंग नहीं बल्कि फव्वारा है। जोकि हर मस्जिद में होता है। जिसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी इसके बाद सेशन कोर्ट ने इस विवादित स्थल को सील कर दिया था। जिसके बाद मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रूख अपना लिया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने जिला कोर्ट से यह फैसला करने को कहा था कि यह मामला सुनवाई के लायक है या नहीं सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की ओर से यह दलील दी गई थी कि यह कोर्ट में सुनवाई करने लायक नहीं है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलील को खारिज करते हुए अपने निर्णय में कहा कि मामले की सुनवाई सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 07 नियम 11 के तहत की जा सकती है।
जिला जज एके विश्वेश ने दिए ASI सर्वे के आदेश
जानकारी के लिए बता दें कि इसी वर्ष मई में 5 वादी महिलाओं में से 4 महिलाओं ने एक प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। जिसमें मांग की गई थी। कि ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित स्थल को छोड़कर पूरे परिसर का ASI सर्वे कराया जाए। जिसपर जिला जज एके विश्वेश ने फैसला सुनाते हुए ASI सर्वे का आदेश दिया था।