ISRO ने एक बार फिर रचा इतिहास, आदित्य एल1 ने दी सूरज के दरवाजे पर दस्तक, पीएम मोदी ने दी बधाई

KNEWS DESK – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है| इसरो ने आज यानी शनिवार को अपने ‘आदित्य-एल1’ यान को पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर लैंग्रेज पॉइंट 1 पर हेलो ऑर्बिट में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है| आदित्य एल1 को सूर्य का अध्ययन करने के लिए पिछले साल 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था| इसरो की इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर कर बधाई दी है|

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दी बधाई 

इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्वीट किया, “भारत ने एक और माइलस्टोन हासिल किया है| भारत की पहली सोलर ओबजर्वेटरी आदित्य-एल 1 अपनी मंजिल तक पहुंच गई| यह सबसे जटिल अंतरिक्ष मिशनों में से एक को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है| मैं देशवासियों के साथ इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करता हूं| हम मानवता के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाते रहेंगे|”

प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा

वहीं, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत के लिए यह साल काफी शानदार रहा है| पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में इसरो ने एक और सफलता की कहानी लिखी है| आदित्य एल1 सूर्य से जुड़े रहस्यों की खोज के लिए अपनी अंतिम कक्षा में पहुंच गया है|

स्पेस क्राफ्ट पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी सिस्टम के लैग्रेंज प्वाइंट  (एल 1) के आसपास एक हेलो कक्षा में पहुंच चुका है| एल1 प्वाइंट पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है| अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंचने के बाद अंतरिक्ष यान बिना किसी ग्रहण के सूर्य को देख सकेगा|

लैंग्रेज प्वाइंट

लैग्रेंज प्वाइंट वह क्षेत्र है, जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय हो जाएगा| हेलो कक्षा में  एल1 प्वाइंट के चारों ओर सैटेलाइट के जरिए सूर्य को लगातार देखा जा सकता है| इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव के जानकारी मिलेगी|

उद्देश्य

इस मिशन का उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप, सूर्य के धधकने से जुड़ी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं और अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को बेहतर ढंग से समझना है|

सूर्य की स्टडी करेगा आदित्य एल1 

आदित्य एल1 मिशन का लक्ष्य सूर्य का अध्ययन करना है| यह मिशन सात पेलोड लेकर गया था, जो अलग-अलग वेव बैंड में फोटोस्फेयर (प्रकाशमंडल), क्रोमोस्फेयर (सूर्य की दिखाई देने वाली सतह से ठीक ऊपर) और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) पर रिसर्च करने में मदद करेंगे|

सूर्य अध्ययन करना काफी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि इसके सतह का तापमान लगभग 9,941 डिग्री फारेनहाइट है| अब तक सूरज के बाहरी परत कोरोना का तापमान भी मापा नहीं जा सका है| इसी को देखते हुए आदित्य एल1 पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी के लगभग एक प्रतिशत दूरी 15 लाख किलोमीटर पर मौजूद एल1 की पास की कक्षा में स्थापित किया गया है|

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