प्राचीन नागर शैली पर बन रहा राम मंदिर, जानें रामलला के मंदिर की प्रमुख विशेषताएं

KNEWS DESK-  22 जनवरी 2024 को अयोध्या में भगवान राम का भव्य और दिव्य मंदिर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का खास कार्यक्रम होगा| इसके बाद दो महीनों तक अयोध्या में खास कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जो कि 25 मार्च तक चलेंगे| वहीं चलिए हम आपको आस्था और वास्तु शिल्प कौशल को दर्शाते हुए अयोध्या के राम मंदिर की विशेषताएं बताते हैं|

भव्य राम मंदिर की विशेषताएं

♦ यह भव्य मंदिर परंपरागत नागर शैली में बनाया जा रहा है|

♦ मंदिर की लंबाई 380 फीट, चौड़ाई 250 फीट और ऊंचाई 161 फीट रहेगी|

♦ मंदिर तीन मंजिला रहेगा और प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई 20 फीट रहेगी|

♦ मंदिर में कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे लेकिन प्रवेश सिर्फ एक मुख्य द्वार से होगा|

♦ मंदिर के मुख्य गर्भगृह में प्रभु श्रीराम की बालरूप और प्रथम तल पर श्रीराम दरबार होगा|

♦ अयोध्या का राम मंदिर पांच गुम्बद वाला दुनिया का अकेला राम मंदिर होगा|

♦ नृत्य, रंग, सभा, प्रार्थना व कीर्तन मंडप सहित मंदिर में 5 मंडप होंगे|

♦ खंभों और दीवारों में देवी-देवता तथा देवांगनाओं की मूर्तियां उकेरी जा रही हैं|

♦ मंदिर में प्रवेश पूर्व दिशा से, 32 सीढ़ियां चढ़कर सिंहद्वार से होगा|

♦ दिव्यांगजन एवं वृद्धों के लिए मंदिर में रैम्प व लिफ्ट की व्यवस्था रहेगी|

♦ सबसे खास बात ये है, मंदिर का निर्माण स्वदेशी तकनीक से किया जा रहा है|

♦ पर्यायवरण-जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है| कुल 70 एकड़ क्षेत्र में 70% क्षेत्र सदा हरित रहेगा|

♦ मंदिर के चारों तरफ आयातकार परकोटा रहेगा| चारों दिशाओं में इसकी कुल लंबाई 732 मीटर और चौड़ाई 14 फीट होगी|

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इन परकोटों के चारों कोनों पर सूर्यदेव, मां भगवती, गणपति और भगवान शिव को समर्पित चार मंदिरों का निर्माण होगा| उत्तरी भुजा में मां अन्नपूर्णा व दक्षिणी भुजा में हनुमान जी का मंदिर रहेगा| इसके अलावा मंदिर में महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अग्य निषादराज, माता शबरी व ऋषि गौतम की पत्नी देवी अहिल्या के मंदिर भी बनाए जाएंगे| मंदिर के समीप पौराणिक काल का सीता कूप भी विद्यमान रहेगा| वहीं, दक्षिणी पश्चिम भाग में नवरत्न कुबेर टीले पर भगवान शिव के प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया है और वहां जटायु की प्रतिमा की स्थापना की गई है| मंदिर के निर्माण में कहीं भी लोहे का प्रयोग नहीं किया गया है| मंदिर के नीचे 14 मीटर रोलर, कंपैक्ट कंक्रीट यानी आरसीसी बिछाई गई है, जिसे आर्टिफिशियल चट्टान का रूप दिया गया है| मंदिर 21 फीट ऊंची फ्लिंट ग्रेनाइट से बनाई गई है, जो नमी से बचाएगी|

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