उत्तराखंड, उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून और मूल निवास के मुद्दे पर राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार से आर पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। राज्य आंदोलनकारी सरकार की अंदेखी से नाराज है पिछले लंबे समय से राज्य आंदोलनकारी सरकार से अपनी विभिन्न मांगों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं….लेकिन सरकार द्वारा कोई कार्रवाई ना किए जाने से नाराज होकर राज्य आंदोलनकारियों ने नौ अगस्त को क्रांति दिवस के अवसर पर सीएम आवास कूच का ऐलान किया है। राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि उत्तराखंड का मौलिक स्वरूप बनाए रखने के लिए मजबूत और सख्त भू-कानून, मूल निवास-1950 और धारा 371 कड़ाई से लागू होना चाहिए। हर राज्य का अपना भू-कानून और मूल निवास की व्यवस्था है। यह दुर्भाग्य है कि उत्तराखंड को राष्ट्रीय दलों ने प्रयोगशाला बनाकर रख दिया। राज्य गठन के 23 साल बाद भी मूल निवासियों को कोई लाभ नहीं मिला, उल्टा वे नुकसान में रहे हैं। वहीं सत्ताधारी दल बीजेपी का कहना है कि सरकार की ओर से एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया गया है…वहीं विपक्षी दलों ने भी राज्य आंदोलनकारियों की इस मांग का समर्थन किया है।
उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून और मूल निवास के मुद्दे पर राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार से आर पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। राज्य आंदोलनकारी सरकार की अंदेखी से नाराज है पिछले लंबे समय से राज्य आंदोलनकारी सरकार से अपनी विभिन्न मांगों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं….लेकिन सरकार द्वारा कोई कार्रवाई ना किए जाने से नाराज होकर राज्य आंदोलनकारियों ने नौ अगस्त को क्रांति दिवस के अवसर पर सीएम आवास कूच का ऐलान किया है। राज्य आंदोलनकारियों का कहना है कि उत्तराखंड का मौलिक स्वरूप बनाए रखने के लिए मजबूत और सख्त भू-कानून, मूल निवास-1950 और धारा 371 कड़ाई से लागू होना चाहिए। हर राज्य का अपना भू-कानून और मूल निवास की व्यवस्था है। यह दुर्भाग्य है कि उत्तराखंड को राष्ट्रीय दलों ने प्रयोगशाला बनाकर रख दिया। राज्य गठन के 23 साल बाद भी मूल निवासियों को कोई लाभ नहीं मिला, उल्टा वे नुकसान में रहे हैं।
आपको बता दें कि राज्य आंदोलनकारी हिमांचल की तर्ज पर सशक्त भू कानून की मांग कर रहे हैं। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिसंबर 2018 में भू कानून में संसोधन किया था जिसके तहत पहाड़ों में भूमि खरीद की अधिकतम सीमा को समाप्त कर दिया गया। अब कोई भी राज्य में कहीं भी भूमि खरीद सकता है. साथ ही इसमें उत्तराखंड के मैदानी जिलों देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंहनगर में भूमि की हदबंदी (सीलिंग) भी खत्म कर दी गई। इन जिलों में तय सीमा से अधिक भूमि खरीदी या बेची जा सकेगी। वहीं सत्ताधारी दल बीजेपी का कहना है कि सरकार की ओर से एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया गया है…जबकि विपक्षी दलों ने भी राज्य आंदोलनकारियों की इस मांग का समर्थन करते हुए सश्कत भू कानून और मूल निवास लागू किए जाने की मांग की है
कुल मिलाकर उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून और मूल निवास के मुद्दे पर राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार से आर पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। राज्य आंदोलनकारी सरकार की अंदेखी से नाराज है…सत्ता में आने से पहले सीएम धामी ने भी सश्कत भू कानून लागू करने का वादा किया था.,,लेकिन कमेटी गठित होने के बाद इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई नहीं होने से राज्य आंदोलनकारी नाराज है देखना होगा क्या राज्य आंदोलनकारियों के आंदोलन से सरकार इस मुद्दे पर कोई कार्रवाई करती है या नहीं