श्रीलंका में आर्थिक संकट जैसे जरूरी चीजों के साथ खाने पीने की कमी हो जाने पर आगजनी, हिंसा, प्रदर्शन, सरकारी संपत्तियों में तोड़ फोड़ की गई. लंबे पावर कट, और ईंधन की कमी ने लोगों की दिक्कतें और बढ़ा दी. देश में बिगड़ते हालात देख राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने आपातकाल लागू कर दिया है.
श्रीलंका के आर्थिक सकंट से जुड़ी बड़ी बातें
- श्रीलंका का आर्थिक संकट अब लोगों के जी का जंजाल बन चुका है. यही वजह है कि देशभर में आगजनी, हिंसा, प्रदर्शन, सरकारी संपत्तियों में तोड़ फोड़ चल रही है. लंबे पावर कट, खाने-पीने की चीजों समेत श्रीलंका कई दिक्कतों से जूझ रहा है. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे (Gotabaya Rajapaksa) ने आपातकाल लागू कर दिया है.
- आपातकाल 1 अप्रैल से लागू किया गया है. श्रीलंका के राष्ट्रपति कार्यालय से जारी आदेश में कहा गया है कि देश में कानून व्यवस्था कायम रखने, आवश्यक चीजों की सप्लाई को जारी रखने के लिए ये फैसला लिया गया.
- पुलिस ने 50 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया और कोलंबो और उसके आसपास के इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया, ताकि छिटपुट विरोध प्रदर्शनों को रोका जा सके.
- श्रीलंका की आम लोगों को लगता है कि देश की आर्थिक बदहाली के लिए मौजूदा सरकार की नीतियां ही जिम्मेदार है, इसलिए कोलंबो में हिंसा का दौर जारी है.
- श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने एक गजट जारी करते हुए एक अप्रैल से इमरजेंसी लागू करने का ऐलान कर दिया है.
- कोलंबो में 13-13 घंटे के पावर कट से जूझ रही जनता सड़कों पर उतर आई है और राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग कर रही है.
- जरूरी चीजों की भारी किल्लत से जूझ रही श्रीलंका की जनता कोलंबो में सड़कों पर उतर आई थी. 5000 से ज्यादा लोगों ने राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के घर की ओर रैली निकाली. इस दौरान भीड़ की पुलिस से झड़प हुई है जिसके बाद कई लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
- आर्थिक संकट से गुजर रहा श्रीलंका, की भारत की तरफ से 40,000 टन डीजल की खेप श्रीलंका के तटों तक पहुंच चुकी है. भारत ने डीजल की ये खेप क्रेडिट लाइन के तहत दी है.