सीएम नायब सिंह सैनी ने सीएमओ में किया बड़ा फेरबदल, हरियाणा सरकार ने इन अधिकारियों की सूची तैयार की

KNEWS DESK-  हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) में बड़े फेरबदल के साथ अपनी नई टीम का गठन किया है। यह कदम सरकार के गठन के करीब एक महीने बाद उठाया गया है, और इसे पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की छाया से बाहर निकलने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। बुधवार रात को किए गए इस फेरबदल में पूर्व सीएमओ अधिकारियों अमित अग्रवाल और आशिमा बराड को हटाकर नए अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। इसके बाद अब सीनियर आईएएस और एचसीएस अधिकारियों की अदला-बदली की सूची कभी भी जारी हो सकती है।

सीएम सैनी ने इस फेरबदल के बाद कई अहम नियुक्तियां की हैं, जिनमें वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अरुण गुप्ता को सीएम का प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है। गुप्ता, जो पहले टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, शहरी संपदा, और उद्योग एवं वाणिज्य विभागों में अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद पर कार्यरत थे, केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर गए पूर्व सीएमओ प्रधान सचिव वी उमाशंकर की जगह लेंगे।

इसके अलावा, 2005 बैच के आईएएस अधिकारी साकेत कुमार को अतिरिक्त प्रधान सचिव के पद पर नियुक्त किया गया है। वह पूर्व सीएम मनोहर लाल के करीबी अमित अग्रवाल की जगह लेंगे। साकेत कुमार ने पहले उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम के प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य किया था और वह बाल रोग विशेषज्ञ भी हैं।

2011 बैच के आईएएस अधिकारी यशपाल को मुख्यमंत्री के उप प्रधान सचिव के पद पर नियुक्त किया गया है। यशपाल इससे पहले शहरी स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक के रूप में कार्य कर चुके थे। वहीं, आशिमा बराड़ को सामाजिक न्याय, सशक्तीकरण, एससी-एसटी और पिछड़ा वर्ग विभाग का महानिदेशक नियुक्त किया गया है।

साथ ही, अमित अग्रवाल को पंचायत एवं विकास विभाग के आयुक्त और सचिव तथा हरियाणा बिजली प्रसारण निगम का प्रबंध निदेशक बनाया गया है।

इस फेरबदल के बाद राजनीतिक नियुक्तियों की भी चर्चा तेज हो गई है। सीएम सैनी के राजनीतिक सलाहकार के पद पर जल्द ही किसी पूर्व मंत्री की नियुक्ति हो सकती है। इस पद के लिए सुभाष सुधा, असीम गोयल और कंवरपाल गुर्जर के नामों पर विचार किया जा रहा है। इनमें से सुभाष सुधा और असीम गोयल को सीएम सैनी का करीबी माना जाता है, जबकि कंवरपाल गुर्जर को भी सैनी और मनोहर दोनों के करीबी माने जाते थे। हालांकि तीनों ही मंत्री पिछले विधानसभा चुनावों में हार गए थे, फिर भी उनकी लॉबिंग इस पद के लिए जारी है। मुख्यमंत्री सैनी का यह कदम स्पष्ट रूप से प्रदेश के प्रशासन और सरकार के संचालन में अपनी पहचान बनाने की दिशा में एक अहम कदम है। अधिकारियों की अदला-बदली से न केवल प्रशासनिक कार्यों में तेजी आएगी, बल्कि यह सरकार के समग्र विकास की योजना को भी बल मिलेगा।

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