भोपाल में एसीईडीएस द्वारा एक्स-रे मशीन निर्माण के लिए 6.72 एकड़ भूमि आवंटित, सीएम मोहन यादव ने दी मंजूरी

KNEWS DESK-  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इस समय जर्मनी की यात्रा पर हैं, जहां वे प्रदेश में निवेश आकर्षित करने के लिए उद्योगपतियों से महत्वपूर्ण बातचीत कर रहे हैं। 24 नवंबर से 30 नवंबर तक चलने वाली इस यात्रा में डॉ. यादव ने विभिन्न देशों में उद्योगपतियों से मुलाकात की है, और निवेश के लिए कई बड़े प्रस्ताव प्राप्त किए हैं। यह मुख्यमंत्री की पहली विदेश यात्रा है, जो प्रदेश के औद्योगिक विकास को नई ऊंचाई देने के उद्देश्य से की जा रही है।

गुरुवार को जर्मनी यात्रा के दौरान, मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जर्मन कंपनी एसीईडीएस लिमिटेड के साथ एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत, कंपनी को भोपाल के अचारपुरा क्षेत्र में 27,200 वर्गमीटर (6.72 एकड़) भूमि आवंटित की गई है। इस परियोजना के तहत एसीईडीएस ने भोपाल में अपनी औद्योगिक इकाई स्थापित करने के लिए 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश प्रस्ताव दिया है।

इस उद्योग के स्थापना से न केवल प्रदेश की औद्योगिक परिपाटी को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि सैकड़ों लोगों को रोजगार भी मिलेगा। एसीईडीएस की इकाई एक्स-रे मशीनों और अन्य चिकित्सा उपकरणों के निर्माण के साथ-साथ सौर ऊर्जा पॉवर प्लांट और नैनो इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में भी काम करेगी। यह परियोजना प्रदेश के औद्योगिक मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस अवसर पर कहा, “भोपाल में एसीईडीएस को भूमि आवंटन एक शुरुआत है। यह साझेदारी प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और इससे राज्य में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। इस साझेदारी से प्रदेश का समग्र विकास होगा।”

मुख्यमंत्री ने अपनी जर्मनी यात्रा के बारे में बताया कि इस यात्रा का उद्देश्य प्रदेश में निवेश को आकर्षित करना और औद्योगिक विकास को नई दिशा देना है। इससे पहले, उन्होंने यूके में भी उद्योगपतियों से मुलाकात की थी, जहां से करीब 60 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। अब, जर्मनी में भी उद्योग जगत से कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव मिलने की उम्मीद है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की इस यात्रा से यह स्पष्ट है कि वे प्रदेश के विकास के लिए वैश्विक निवेशकों के साथ साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहे हैं। एसीईडीएस के साथ भूमि आवंटन के बाद, मध्यप्रदेश में औद्योगिक क्रांति की राह प्रशस्त होती नजर आ रही है।

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