अनिल बलूनी के घर पर पीएम मोदी ने मनाया इगास पर्व, फोटो भी सोशल मीडिया पर की पोस्ट

KNEWS DESK-  दिल्ली में सोमवार को इगास (बूढ़ी दिवाली) पर्व बड़े धूमधाम से मनाया गया, जहां राज्यसभा सदस्य और भाजपा के मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी के 20, गुरुद्वारा रकाबगंज रोड स्थित आवास पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योगगुरु बाबा रामदेव और परमार्थ निकेतन के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती के साथ गौ पूजा की और पवित्र अग्नि प्रज्वलित की।

कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल समेत कई दिग्गज राजनेता और गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने इगास-बग्वाल के कार्यक्रम की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा करते हुए इस पर्व की अहमियत और अनिल बलूनी के योगदान को सराहा।

प्रधानमंत्री मोदी ने दी शुभकामनाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इगास पर्व की शुभकामनाएं देते हुए ट्वीट किया, “उत्तराखंड के मेरे परिवारजनों सहित सभी देशवासियों को इगास पर्व की बहुत-बहुत बधाई! दिल्ली में आज मुझे भी उत्तराखंड से लोकसभा सांसद अनिल बलूनी जी के यहां इस त्योहार में शामिल होने का सौभाग्य मिला। मेरी कामना है कि यह पर्व हर किसी के जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली लाए।”

उन्होंने आगे कहा, “हम विकास और विरासत को एक साथ लेकर आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मुझे इस बात का संतोष है कि लगभग लुप्तप्राय हो चुका लोक संस्कृति से जुड़ा इगास पर्व, एक बार फिर से उत्तराखंड के मेरे परिवारजनों की आस्था का केंद्र बन रहा है।”

https://x.com/narendramodi/status/1856020034755404262

बलूनी की पहल ने इगास को दिया नया जीवन

इस अवसर पर अनिल बलूनी ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा से इस पर्व को पुनर्जीवित करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि लगभग पांच वर्षों के प्रयासों के बाद, अब यह पर्व न केवल उत्तराखंड में, बल्कि देश और विदेश में भी मनाया जा रहा है। बलूनी ने इगास पर्व को उत्तराखंड की एक अनमोल परंपरा बताते हुए इसे आधुनिक समय में जीवित रखने की अपनी कोशिशों को साझा किया। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा इस पर्व को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने के फैसले का भी स्वागत किया।

इगास पर्व की मान्यताएं और महत्व

बलूनी ने इगास पर्व के संदर्भ में कई मान्यताएं साझा कीं। सबसे प्रमुख मान्यता यह है कि जब भगवान राम लंका विजय के बाद अयोध्या लौटे थे, तो अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत के लिए घी के दीपक जलाए थे। यह सूचना गढ़वाल क्षेत्र में कार्तिक शुक्ल एकादशी को मिली, और इस दिन को इगास या बूढ़ी दिवाली के रूप में मनाया जाने लगा। एक अन्य मान्यता के अनुसार, गढ़वाल के सेनापति माधो सिंह भंडारी की सेना ने तिब्बत के युद्ध में जीत हासिल की थी, और उनकी सेना दिवाली के 11 दिन बाद गढ़वाल लौटे थे, तब इसे इगास पर्व के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई।

देशभर में मनाया जा रहा इगास पर्व

प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी पोस्ट में लिखा, “उत्तराखंड के मेरे भाई-बहनों ने इगास की परंपरा को जिस प्रकार जीवंत किया है, वो बहुत उत्साहित करने वाला है। देशभर में इस पावन पर्व को जिस बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है, वो इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। मुझे विश्वास है कि देवभूमि की यह विरासत और फलेगी-फूलेगी।”

प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में यह पर्व न केवल उत्तराखंड की पहचान है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है, जिसे देशभर में मनाया जा रहा है। उनके अनुसार, यह पर्व विकास और संस्कृति के संगम का प्रतीक है, जो भारतीय समाज की विविधता और एकता को प्रदर्शित करता है।

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