10वीं पास कर बने शिक्षा मंत्री, नहीं छोड़ी खेती.. झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की कहानी

स्पेशल डेस्क, झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो 6 अप्रैल की सुबह इस दुनिया को अलविदा कहे गए. लंबे बिमारी से जंग लड़ रहे जगरनाथ महतो ने ईलाज के दौरान चेन्नई के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली. झारखंड में शिक्षा की अलख जागने में जगरनाथ महतो की अहम भूमिका थी. लेकिन आपको जान कर हैरानी होगी कि ये केवल 10 दसवीं पास थे.

CM ने दिया टाइगर जगरनाथ दा का खिताब

झारखंड के मुख्यमंत्री उन्हें टाइगर जगरनाथ दा कहकर पुकारते थे. उनके निधन पर हेमंत सोरेन ने tweet किया- अपूरणीय क्षति! हमारे टाइगर जगरनाथ दा नहीं रहे! आज झारखण्ड ने अपना एक महान आंदोलनकारी, जुझारू, कर्मठ और जनप्रिय नेता खो दिया. चेन्नई में इलाज के दौरान आदरणीय जगरनाथ महतो जी का निधन हो गया. परमात्मा दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान कर शोकाकुल परिवार को दुःख की यह विकट घड़ी सहन करने की शक्ति दे.

जगरनाथ दा कि मौत के बाद इसे झारखंड की राजनीति में एर युग का अंत माना जा रहा है. इनकी मौत के बाद चाहने वाले इनको सोशल मीडिया में श्रद्धाजंलि अर्पित कर रहे है. एक ने लिखा-झारखंड की राजनीति में एक युग का अंत हो गया. पूरे झारखंड में टाइगर के नाम से मशहूर झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो जी हमारे बीच नहीं रहे.

एक यूजर ने कहा- जननेता के दिवंगत आत्मा को शांति मिले. अपनी सादगी को कभी नही छोड़ा. अपनी मिट्टी से जुड़े रहते थे. मंत्री पद पर रहते हुए भी अपनी पारंपरिक खेती करने हल-बैल लेकर पहुंच जाते थे और किसानों को प्रेरित करते थे.

 

पिता और भाई भी लड़ चुके है चुनाव

जब 2020 में झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार बनी और जगरनाथ के मंत्री बनने की खबर उनके 90 वर्षीय पिता नेमनारायण महतो को लगी, तब उन्होंने खुशी जताते हुए अपनी बोली में कहा था, अब तो गोटे झारखंडेक मंत्री बन गेलक. जगरनाथ के पिता उस वक्त चंद्रपुरा प्रखंड अंतर्गत अलारगो के सिमराकुल्ही स्थित अपने घर पर थे.

नेमनारायण ने कभी नावाडीह प्रखंड की नर्रा पंचायत से चुनाव लड़ा था. उनका चुनाव चिह्न कबूतर था. तब वे चेतलाल महतो से हार गए थे. जगरनाथ चार भाइयों और एक बहन में सबसे बड़े हैं. उनके चार बेटियां और एक बेटा है. मां का निधन हो चुका है. उनके एक भाई वासुदेव महतो तारमी पंचायत के मुखिया रहे हैं.

ऐसे बिगड़ते चली गई तबीयत

बता दें कि महतो वैसे तो लंबे समय से बीमार रहे हैं. 2018 में उन्हें हार्ट अटैक आया था. उनकी एक बार एनजीओप्लास्टी भी हो चुकी थी. हालांकि वह ठीक हो गए थे. लेकिन दो साल पहले कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद तबीयत बिगड़ती चली गई थी. उनके फेफड़ों में संक्रमण हो गया था. इस दौरान उन्हें रांची के पारस हॉस्पिटल में जब उन्‍हें एडमिट किया गया. लेकिन यहां सुधार नहीं हुई तो सीएम हेमंत सोरेन के कहने पर महतो को चेन्नई एमजीएम में उनके लंग्‍स का ट्रांसप्‍लानटेशन के लिए भेजा गया. यहां उनका लंग्‍स का ट्रांसप्‍लानटेश हुआ था. जिसके बाद वह ठीक हो गए थे. लेकिन कुछ दिन पहले फिर उनकी तबीयत बिगड़ गई और अब फॉलो अप के लिए उन्‍हें फिर से चेन्नई लाया गया.

 

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