आज है कामिका एकादशी, जानिए सही पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

KNEWS DESK-  हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक माह में दो एकादशी व्रत रखे जाते हैं। श्रावण मास की कृष्ण एकादशी का नाम कामिका है। उसके सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। ऐसी मान्यता है कि जो मनुष्य श्रावण में भगवान का पूजन करते हैं, उनसे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं। अत: पापों से डरने वाले मनुष्यों को कामिका एकादशी का व्रत और विष्णु भगवान का पूजन जरुर करना चाहिए और इसके ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही व्यक्ति के जीवन में धन धान्य की कमी नहीं होती है। तो चलिए जानते हैं कामिका एकादशी की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त के बारे में-

कामिका एकादशी की तिथि

सावन कृष्ण कामिका एकादशी इस बार 12 जुलाई को शाम 05 बजकर 59 मिनट पर आरम्भ  होगी और साथ ही  13 जुलाई को शाम 6 बजकर 24 मिनट पर इसका समापन होगा लेकिन उदिया तिथि के कारण कामिका एकादशी का व्रत 13 जुलाई को रखा जाएगा।

व्रत के पीछे क्या है कथा

एक गांव में एक वीर श्रत्रिय रहता था। एक दिन किसी कारण वश उसकी ब्राहमण से हाथापाई हो गई और ब्राहमण की मृत्य हो गई। अपने हाथों मरे गये ब्राहमण की क्रिया उस श्रत्रिय ने करनी चाही। परन्तु पंडितों ने उसे क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया। ब्राहमणों ने बताया कि तुम पर ब्रहम हत्या का दोष है। पहले प्रायश्चित कर इस पाप से मुक्त हो तब हम तुम्हारे घर भोजन करेंगे। इस पर श्रत्रिय ने पूछा कि इस पाप से मुक्त होने के क्या उपाय है। तब ब्राहमणों ने बताया कि श्रावण माह के कृष्ण पश्र की एकादशी को भक्तिभाव से भगवान श्रीधर का व्रत एवं पूजन कर ब्राहमणों को भोजन कराके सदश्रिणा के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने से इस पाप से मुक्ति मिलेगी। पंडितों के बताये हुए तरीके पर व्रत कराने वाली रात में भगवान श्रीधर ने श्रत्रिय को दर्शन देकर कहा कि तुम्हें ब्रहम हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई है।

कामिका एकादशी पूजा विधि
कोई पूजा पाठ करने से पहले आपको  जल्दी उठकर स्नान  करना चाहिए उसके बाद बाद साफ कपड़े पहनें और मंदिर को साफ़ कर उसमें दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें। फिर पूजा की तैयारी शुरू करें।।भगवान को फल, फूल, तिल, दूध, पंचामृत और तुलसी आदि अर्पित करें। तुलसी जरूर चढ़ाएं, क्योंकि तुलसी के बिना भगवान विष्णु की पूजा पूरी नहीं मानी जाती जाती है। इसके बाद कामिका एकादशी की व्रत कथा पढ़ें या सुनें और आखिर में आरती करें अन्त में श्रमा याचन करते हुए भगवान को नमस्कार करें। विष्णु सहस्त्र नाम पाठ का जाप अवश्य करें |
इस व्रत में क्या खायें

चावल व चावल से बनी किसी भी चीज के खाना पूर्णतया वर्जित होता है। व्रत के दूसरे दिन चावल से बनी हुई वस्तुओं का भोग भगवान को लगाकर ग्रहण करना चाहिए। इसमें नमक रहित फलाहार करें। फलाहार भी केवल दो समय ही करें। फलाहार में तुलसी दल का अवश्य ही प्रयोग करना चाहिए। व्रत में पीने वाले पानी में भी तुलसी दल का प्रयोग करना उचित होता है।

एकादशी के व्रत का महत्व

व्रतों में प्रमुख व्रत नवरात्रि, पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी के हैं। इनमें सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है.कामिका एकादशी का व्रत रखने और पूजन करने से न सिर्फ भगवान विष्णु बल्कि पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इस व्रत को करने से सभी बिगड़े काम भी बनने लगते हैं। इसलिए कामिका एकादशी का व्रत जरूर करना चाहिए। इसको करने मात्र से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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