आंदोलनों से गूंजा गैरसैंण

गैरसैण। उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में बजट सत्र का आयोजन हो और भरारी सैण से लेकर दिवाली खाल तक की सड़क पुलिस छावनी में तब्दील न हो ऐसा होना  असंभव है। चलिए अब ग्रीष्मकालीन राजधानी का कुल क्षेत्रफल छावनी में तब्दील भी हो गया है। अब बारी थी इतिहास को दोहराने कि एक ऐसा इतिहास माने उसके बिना गैरसैंण सत्र का  पता ही नही चलता  या कुछ यूं कह लीजिए कि एक ऐसी परंपरा जिसे बिना गैरसैण में विधानसभा सत्र की कार्यवाही शुरू ही नहीं होती। जैसे हर शुभ काम से पहले गणेश जी की पूजा होती है।

ठीक वैसे ही गैरसैंण में सत्र शुरू होने से पहले पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच भी तीखी नोक झोक होती है और यह परंपरा 2012 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा जी के समय से चली आ रही है।  ये आन्दोलन और पुलिस के साथ धक्का मुक्की ही गैरसैण में विधानसभा सत्र का आगाज करती हो। अब बात करते है प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार के पहले बजट सत्र या कहे तो सीएम धामी के अपने दूसरे कार्यकाल के पहले बजट सत्र की जो लगभग दो साल बाद उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी में गैरसैंण में 13 मार्च से 18 मार्च के बीच आयोजित हो रहा है।

13 मार्च की सुबह दिवाली खाल की सर्द हवाओं और तेज खिली हुई धूप के बीच बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग में ही उत्तराखंड की सियासत में मुख्य विपक्षी दल के रूप में अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही कांग्रेस के बडे बडे नेताओ और प्रदेश भर से आये कार्यकर्ताओं का जमघट लगा हुआ था।

सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा पूर्व सांसद अजय टम्टा के साथ ही महिला कांग्रेस, यूथ कांग्रेस, एनएसयूआई के उनको कार्यकर्ता सरकार के विरोध में कांग्रेस के ध्वज तले विरोध प्रदर्शन करने गैरसैण आये हुए थे।

वही बजट सत्र के पहले ही दिन स्थानीय जनता केा भी एकत्रित कर काफी भीड़ जुटा कर सरकार के खिलाफ जबरदस्त षक्ति प्रर्दषन किया गया। वही बैरियर को तोड आगे बढ़ रही कांग्रेसियो की भीड के सामने मित्रता पुलिस के सुरक्षा कर्मियों के भी पसीने छूट गये और सुरक्षा कर्मी बेबस नजर आये। इस सिलसिले में कई स्थानों पर कांग्रेस नेताओं और सुरक्षाबलों के बीच भी तीखी नोक झोंक देने केा भी मिली।

शासन ने आंदोलनकारियों को रोकने के लिए गैरसैंण से लगभग 40 किमी दूरी पर स्थित सिमली में भी बैरियर लगाये हुए थे लेकिन आन्दोलन कारीयो कि भीड  के सामने फोर्स की कमी के कारण कांग्रेसियों को आगे बढ़ाने में कोई कठिनाई नहीं आई।

जिसके बाद दिवाली खाल भी जोरदार प्रर्दषन करते हुए कं्रगे्रसीयो ने पांच बैरियर तोड दिये।
प्रदेश में अंकिता भण्डारी हत्या कांड, महंगाई,बेरोजगारी,जोशीमठ पुनर्वास के साथ ही गैरसैण स्थाई राजधानी की मांग को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत  कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं ने गिरफतारी दी।
अंत में हम कह सकते है कि हंगामे के साथ गैरसैंण में विधानसभा सत्र के आगाज कि परंपरा इस बार भी बरकरार रही।

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