उत्तराखण्ड में बढ़े जमीनों के सर्किल रेट को कोर्ट में चुनौती

देहरादून,  बीते माह कैबिनेट के निर्णय के बाद राज्यभर में जमीनों के सर्किल रेट बढ़ाने का फैसला लिया गया था। निर्णय में जमीनों के सर्किल रेट में औसत 33,6 प्रतिशत की बढ़ोतरी की गयी। हालांकि विपक्षी दल कांग्रेस ने इसका विरोध भी किया। और बेतहाशा महंगाई के बीच इसे सरकार द्वारा जनता की कमर तोड़ना बताया गया। राज्य में बढ़े इन जमीनों के सर्किल रेट को अब हाइकोर्ट में चुनौती दी गयी है। याचिका में हाइकोर्ट से सरकार के इस नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की गयी है। मामले में हाइकोर्ट ने सुनवायी करते हुए सरकार से जवाब मांगा है।

याचिका में नोटिफिकेशन को असंवैधानिक घोषित करने की मांग
सरकार द्वारा राज्य में हाल ही में जमीनों के सर्किल रेट में हुई बढ़ोतरी को चुनौती देते हुए अंकित कालरा ने हाइकोर्ट में इस पर रोक को लेकर याचिका दायर की। इसमें याचिकाकर्ता ने कहा कि जमीन के सर्किल रेट में जितनी बढ़ोतरी प्रदेश सरकार ने की है, उतनी देश के किसी में मेट्र्ोपोलिटन सिटी में नहीं की गयी है। सरकार ने शहरों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी बेतहाशा बढ़ोतरी की है। मामले की सुनवायी कर रह रहे मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ती विपिन सांघी व न्यायमूर्ती आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ से याचिका के माध्यम से प्रार्थना की गयी कि इस नोटिफिकेशन को असंवैधानिक करार दिया जाए। वहीं याचिका के विरोध में मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंन्द्रशेखर रावत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया और कहा कि राज्य सरकार को इसमें नीति बनाने का अधिकार है। साथ ही कोर्ट राज्य की वित्त के मामले की नीति में सीधा हस्तक्षेप नहीं कर सकता वहीं खंडपीठ ने मामले में प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। जिसकी अगली सुनवायी 12 अगस्त को होगी।

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