नोएडा : ऑनलाइन फ्लैट /दुकान ढूंढने निकले हैं तो पहले ये खबर ज़रूर पढ़ लें

नोएडा : नोएडा से एक अलग प्रकार का स्कैम की खबर आ रही है जिसमें ठगों द्वारा फर्जी तरीके से मालिक या एजेंट बनकर ठगी की गयी है, नोएडा के थाना सेक्टर 39 पुलिस द्वारा 4 आरोपितों को फर्जी तरीके से ओनलाइन घर ढूंढ रहे लोगों से लाखों रूपये ठगने के आरोप में गिरफ्तार किया है। ये सभी ठग नामी ओनलाइन वेवसाइटों के माध्यम से आकर्षक विज्ञापन देकर किराए पर घर ढूंढ रहे लोगों को फर्जी रेंट एग्रीमेंट बनाकर लूट दो से तीन महीने का रेंंट एडवांस में जमा करा लिया करते थे, तय तिथि को किरायेदार घर पर सामान लेकर आता था तो उसे इस फर्जीवाड़े का पता चलता था किंतु तब तक ये लोग फोन बंंद करके रफू चक्कर हो जाया करते थे

कैसे देते थे फर्जीवाड़े को अंजाम? 

नोएडा में अनेकों बहुराष्ट्रीय कंपनियों तथा संस्थानों के कार्यालय हैं जिनमें काम करने वाले लोगों को अस्थाई तौर पर रहने के लिए मकान की आवश्यकता होती है, ये सभी लोग चूंकि बाहरी होते हैं और नोएडा ग्रेटर नोएडा के इलाकों की जानकारी इन्हे नही होती है जिसके चलते ये लोग ऐसी वेवसाइटों का सहारा लेते हैं जोकि रेंट या सेल के लिए उपलब्ध मकानों का विज्ञापन करती हैं, इस विज्ञापन का एक पैकेज होता है जिसके लगभग 5000 रूपये से 2 लाख रूपये में ये कंपनियां बेचती हैं. उल्लेखनीय है कि इन पैकेजों को कोई भी व्यक्ति खरीद सकता है और सरलता से अपने फर्जीवाड़े के काम को अंजाम दे सकता है।। इन चारों ठगों ने भी किराये हेतू फ्लैट के आकर्षक विज्ञापन इस नामी वेवसाइटों के माध्यम से दिये और इस दौरान जिस व्यक्ति ने भी इनसे इस घर के लिए सम्पर्क किया, उसे इन्होने फर्जी मकान मालिक एवं एजेंट ब्रोकर बनकर मकान दिलाने के नाम पर दो से तीन महीने का एडवांस पैसा लिया,

फर्जी एग्रीमेंट बनाकर ले लिया करते थे दो से तीन महीने का एडवांस किराया

किरायेदार को भरोसा दिलाने के लिए फर्जी तरीके से रेंट एग्रीमेंट भी बनाया गया. रेंट एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर कराने के बाद ये फर्जी चाबी भी किरायेदार को दे दिया करते थे जिसके बाद किरायेदार खुशी खुशी तय दिनांक को अपना सामान लेकर पहुंचता था, जहां उसे अपने साथ हुई ठगी का पता चलता था.

कैसे करते थे ठगी

प्रॉपर्टी खरीदने में रूचि रखने वाले लोग या प्रॉपर्टी रेंट पर लेने के लिए वेबसाइट के माध्यम से ठगों से संपर्क करते थे। कस्टमर का मोबाइल नंबर मिलने पर ठग गिरोह का सदस्य करण उर्फ़ अमितेश मिश्रा कस्टमर को कॉल करता था। प्रॉपर्टी की लोकेशन व किराया आदि से जुड़ी बात करता था। इसी बातचीत के दौरान कस्टमर को प्रॉपर्टी विजिट कराने का समय तय कर लिया जाता था। इसके बाद दूसरा ठग पुष्पेंद्र कस्टमर को प्रॉपर्टी विजिट कराकर प्रॉपर्टी के फर्जी मालिक बने तीसरे ठग अनिल चौहान से फोन पर बातचीत करवाता था। कस्टमर से टोकन मनी चौथे ठग मृत्युंजय चौबे के अकाउंट में ट्रांसफर कराई जाती थी। कस्टमर से टोकन मनी मिलने के बाद फर्जी एग्रीमेंट इत्यादि तैयार करके तीन से छह महीने का किराया एडवांस मनी के रूप में ले लिया जाता था।

 

10 लोगों को बना चुके हैं ठगी का शिकार

आरोपी चारों ठग की करतूत खुलने पर पुलिस के पास अबतक 10 लोग अपनी शिकायत लेकर पहुंच चुके हैं। पीड़ितों ने बताया कि ठगों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर कस्टमर से हस्ताक्षर करवाकर छाया प्रति देकर तीन से छह महीने का एडवांस रेंट अपने अकाउंट में ट्रांसफर करा लिया। पुलिस पूछताछ में ठगों ने कबूला कि अकाउंट में आये पैसे को चारों ठग आपस में बांट लेते थे। ठगों ने सभी सिम कार्ड व बैंक अकाउंट मृत्युन्जय के नाम से लिए हैं। ठग मृत्युन्जय बिहार का निवासी है। मात्र बीते 19 दिनों में ठगों ने 10 व्यक्तियों को अपनी ठगी का शिकार बनाया है। इन 10 व्यक्तियों से ठगों ने लगभग साढ़े 7 लाख से अधिक की धनराशि ठगी है।

क्या हैं रेंटल प्रोपर्टी के लिए सरकारी मापदंड

भारत सरकार द्वारा समय समय पर रियल स्टेट डेवलपमेंट बिल पारित किये गये जिनमें अंतिम बार 2016 में इस बिल को संसोधित किया गया था, जिसमें रेरा के अंतर्गत रियल एस्टेट एजेंट /ब्रोकरों को पंजीकृत करने का भी प्रावधान है।। किंतु रेंटल प्रोपर्टी या एजेंसियों के लिए कोई भी सही बिल अभी तक भारत सरकार द्वारा पारित नही किया गया था, 2020 में मॉडल टेनेंशी एक्ट को विचाराधीन करने की बात कहीं गयी किंतु अज्ञात कारणों से ये बिल आज भी ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है।।

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