उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में शीतकालीन चारधाम यात्रा को लेकर सरकार गंभीर है। यही वजह है कि सरकार इसको लेकर तमाम माध्यम से प्रचार-प्रसार भी कर रही है। दरअसल, चार धाम यात्रा राज्य की आर्थिकी से जुड़ी है। इस बार सरकार ने शीतकालीन यात्रा पर फोकस किया है। आगामी चारधाम यात्रा को लेकर गढ़वाल मंडल आयुक्त आज ऋषिकेश में अधिकारियों के साथ बैठक भी कर रहे हैं। पिछले दिनों देहरादून में नेशनल गेम्स के उद्घाटन के लिए पहुंचे पीएम मोदी ने भी युवा खिलाड़ियों से एक बार जरूर प्रदेश के चारधाम शीतकालीन प्रवासों की यात्रा की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि अभी यहां भीड़ भी कम है ऐसे में कोई भी आसानी से शीतकालीन चारधाम यात्रा गद्दी स्थलों के साथ ही अन्य नैसर्गिक पर्यटक स्थलों की यात्रा कर सकते हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ‘देवभूमि आओ-उत्तराखंड आओ’ गीत का पोस्टर भी देहरादून में लॉन्च किया। उन्होंने शीतकालीन चारधाम यात्रा से प्रदेश की आर्थिकी मजबूत होने की बात कही। वहीं, दूसरी ओर विपक्ष लगातार शीतकालीन चारधाम यात्रा को लेकर सवाल उठा रहा है। विपक्षी दलों का कहना है कि प्रदेश सरकार का जमीनी स्तर पर कोई प्लान शीतकालीन यात्रा को लेकर नहीं है। बदरी-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म हो चुका है और अभी तक कोई नया अध्यक्ष समिति को सरकार की ओर से नियमित नहीं हुआ है। साथ ही सरकार चारधाम प्राधिकरण बनने जा रही है जिसमे तीर्थपरहितो के हक्क कूको का हनन होगा कहीं न कहीं इससे यात्रा की व्यवस्थाओं पर असर भी पड़ रहा है।
उत्तराखंड में पर्यटन सबसे बड़ी आर्थिकी का जरिया है। चारधाम यात्रा में हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं करीब छह माह तक चलने वाली यात्रा में कई बार अव्यवस्थाओं के चलते लोगों को दिक्कतों का सामना भी करना पड़ता है। पिछले साल केदारनाथ में इतनी भीड़ हो गई थी कि लोगों को अलग-अलग स्थानों पर रोका गया। ऐसी ही स्थिति अन्य धामों की रहती है। वहीं, इस बार सरकार ने शीतकालीन चारधाम यात्रा के लिए भी पर्यटकों के लिए तमाम सुविधाएं देने का ऐलान किया है। जीएमवीएन समेत अन्य विभागों के कमरों की बुकिंग पर छूट का आदेश भी सीएम धामी ने दिए हैं।
शीतकालीन चारधाम यात्रा को लेकर सरकार चाहे कितने भी दावे करे, लेकिन विपक्षी दल इसको लेकर सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस और उक्रांद जमीनी स्तर पर सरकार की कोई तैयारियां न होने की बात कह रहा है। वहीं, भाजपा सरकार इसको लेकर गंभीर बताई जा रही है। भाजपा के अनुसार शीतकालीन यात्रा से प्रदेश की आर्थिकी बढ़ेगी। इसके लिए तमाम माध्यमों से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।
देवभूमि उत्तराखंड में हर साल चारधाम यात्रा अप्रैल-मई माह में शुरू हो जाती है। वहीं, आजकल चारों धामों के देवताओं की पूजा-अर्चना शीतकालीन गद्दी स्थलों पर की जा रही है। ऐसे में कई श्रद्धालु और पर्यटक यहां पहुंचकर दर्शन कर रहे हैं। उत्तराखंड सरकार भी शीतकालीन चारधाम यात्रा के लिए तमाम निर्णय ले रही है। पीएम मोदी का गंगोत्री के मुखवा में आगमन भी शीतकालीन चारधाम यात्रा की ब्रांडिंग के तौर पर देखा जा रहा है। कहीं न कहीं सरकार पर्यटकों को शीतकालीन गद्दी स्थलों तक पहुंचने के लिए प्रेरित कर रही है ताकि स्थानीय लोगों की आर्थिकी में सुधार हो सके। अब देखना होगा कि सरकार के इस प्रयास से कितने पर्यटक और श्रद्धालु शीतकालीन यात्रा पर उत्तराखंड पहुंचेंगे।