आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के वन विभाग ने आज चीते की मौत की सूचना दी गई है। चीते की मृत्यु किस वजह से हुई है, इसका पता लगाने के लिए पोस्टमार्टम किया जा रहा है। दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाए गए चीतों में 9 चीतों की मौत हो चुकी है। एक के बाद एक चीते की मौत ने सभी को हैरान कर दिया है। इस मामले में अब SC ने भी चिंता जाहिर की है। प्रोजेक्ट चीता के तहत देश में चीतों की विलुप्त प्रजाति को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य रखा गया था। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत खुद प्रधानमंत्री मोदी ने की है। लेकिन कुछ महीने बाद ही चीता की मौत से प्रोजेक्ट की उम्मीदों पर पानी फिरने लगा है । चीतों की लगातार हो रही मौत के कारण पर्यावरण मंत्रालय और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की चौतरफा आलोचना हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजनीति से ऊपर उठकर चीतों को राजस्थान में शिफ्ट करने के बारे में सोचना चाहिए।
चीतों की मौत का जारी है सिलसिला
जानकारी के लिए बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नामीबिया और अफ्रीका से लाए गए चीतों को अभी एक साल भी नहीं हुआ है कि करीब 40% चीते की मृत्यु हो गई है। पहले चीते की मौत 26 मार्च को हुई थी। इस दिन मादा चीता साशा की मृत्यु हो गई थी। साशा की उम्र 4 साल थी। विशेषज्ञों ने बताया कि साशा की मौत किडनी में संक्रमण के कारण हुई है। इसके बाद 2 अप्रैल को एक और चीते की मौत हो गई है। तमाम इंतजामों के बाद भी चीतों की मौत का सिलसिला जारी है। इस तरह चीतों निरंतर मौत से केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट चीता को तगड़ा झटका लगा है।