भ्रष्टाचार पर कैसे लगे लगाम, जब राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति ही नहीं

उत्तराखंड-  राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति न होने पर हाइकोर्ट ने सरकार से नाराजगी जताई साथ ही इस सम्बन्ध में राज्य सरकार को आठ सप्ताह का समय भी दिया है और आदेश दिया है कि सरकार इस तय समय सीमा में लोकायुक्त की नियुक्ति करें साथ ही हाइकोर्ट ने इस पर हैरानी भी जताई कि बिना लोकायुक्त की नियुक्ति के इसके नाम पर दिया गया पैसा 36 करोड़ में से 29 करोड़ खर्च हो भी गया इसलिए कोर्ट ने यह भी आदेश दिए कि जब तक राज्य सरकार लोकायुक्त की नियुक्ती नहीं करती तो तब तक लोकायुक्त कार्यालय के खर्च पर रोक लगी रहेगी। मामले की अगली सुनवाई 10 अगस्त को है।

भ्रष्टाचार रोकने को नहीं कोई स्वतंत्र जांच एजेंसी

राज्य में लोकायुक्त नियुक्ती को लेकर कोर्ट में एक जनहित याचिका डाली गई। बीते दिन इसकी सुनवाई, मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ती विपिन सांधी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल ने की। याचिकाकर्ता रविशंकर जोशी ने जनहित याचिका में कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने को लेकर अब तक राज्य में कोई लोकायुक्त नियुक्त नहीं किया गया है। जबकि चौंकाने वाली बात ये है कि इसके नाम पर प्रत्येक वर्ष दो, तीन करोड़ खर्च किया जाता है। क्योंकि राज्य में अब तक कोई ऐसी स्वतंत्र जांच संस्था नहीं है जो भ्रष्टाचार पर बिना सरकार के हस्तक्षेप के स्वतंत्र रूप से जांच कर सके। उन्होंने याचिका में कहा कि राज्य में जो भी जांच एजेंसी है वह सरकार के अधीन ही कार्य करती है। स्वतंत्र रूप से नहीं।

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