धामी का फरमान, फिजूलखर्ची पर विराम

उत्तराखंड-  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने की कवायद तेज कर दी है। सीएम धामी ने आय बढ़ोतरी के लिए राजस्व वसूली में तेजी लाने के साथ ही कर चोरी के खिलाफ बेहद सख्ती से कार्रवाई करने के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही धामी ने फिजूल खर्ची रोकने के लिए भी बडा़ फैसला लिया है। मुख्यमंत्री ने फिजूलखर्ची को रोकने के लिए राज्य के अधिकारियों को अब एक से ज्यादा सरकारी वाहन नहीं मिलेगा…बता दें कि राज्य के अधिकारियों के पास अगर एक से ज्यादा विभागों की जिम्मेदारी है तो उनके पास अलग-अलग विभागों से वाहन भी मिले होते हैं लेकिन अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त निर्देश के बाद राज्य संपति विभाग के द्वारा इसको लेकर आदेश जारी किया गया है कि शासन के अधिकारियों के पास एक ही वाहन होगा। जो वाहन उनके पास ज्यादा है अधिकारियों को उन्हें वापस करना होगा। वहीं मुख्यमंत्री धामी का कहना है कि अनावश्यक फिजूलखर्ची को रोकना राज्य के लिए बेहद जरूरी है। सरकार को सभी का सहयोग चाहिए और सरकार का फोकस पाई- पाई बचाने पर है जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके वहीं विपक्ष ने भी मुख्यमंत्री के फैसले की सराहना करते हुए फैसले को सख्ताई से लागू करने की भी मांग की है।

आपको बता दें कि उत्तराखंड में कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसा अनुमान है कि उत्तराखंड पर अगले साल के अंत तक कर्ज का बोझ बढ़कर राज्य के मौजूदा कुल बजट के आकार के बराबर हो जाएगा। सरकार की वार्षिक वित्तीय विवरण के अनुसार 31 मार्च 2024 तक राज्य पर कुल कर्ज का बोझ भी 77 हजार करोड़ के करीब पहुंच जाएगा। 31 मार्च 2023 तक राज्य पर कर्ज 68 हजार 844 करोड़ से ज्यादा हो चुका है। वहीं विपक्ष ने भी मुख्यमंत्री फिजूलखर्ची के फैसले को रोकने की सराहना करते हुए फैसले को सख्ताई से लागू करने की भी मांग की है सीएम धामी के इस निर्णय की भाजपा विधायक ने भी सराहना की है साथ ही मांग की है कि अधिकारियों के साथ ही मंत्रियों पर भी यह फैसला लागू होना चाहिए।

कुल मिलाकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के फिजूलखर्ची को रोकने के कड़े फैसले की सराहना तो हो रही है लेकिन देखना होगा धरातल पर ये फैसला कितना उतर पाता है। क्या अधिकारी सीएम के इस फैसले का पालन करेंगे? क्या अधिकारियों के साथ ही मंत्रियों पर भी ये फैसला लागू होना चाहिए? क्या सरकारी कार्यक्रमों पर भी सरकार कमी लाएगी?

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