मोदी सरकार में गृह राज्य मंत्री AJAY MISHRA TENI को ‘SUPREME’ झटका,22 साल बाद पीड़ित पक्ष को फायदा

हमारे देश में अक्सर आपने लोगों को सुनते-कहते देखा होगा.. कि देश की न्यायिक प्रक्रिया में बहुत देरी है… और साथ ही साथ पैसे वालों को तो न्याय जल्दी मिल जाता है…. और जो आर्थिक रुप से कमजोर होते हैं….. उन्हे न्याय पाने में बड़ी देरी लगती है…. और उसके पीछे की वजह यह होती है कि आपको अपने केस की पैरवी करनी होती है.. तारीख पर तारीख के दौर या ये कहें कि कई दौरों से गुजरना पड़ता है… कुछ लोग थक जाते हैं और फायदा सामने वाले को मिल जाता है… लेकिन कुछ लोग आखिर तक हार नहीं मानते….. और उसका फायद देर सबेर मिलता जरुर है… इसी से जुड़ा है केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के 22 साल पुराने केस का मामला…. जिसमे टेनी को सुप्रीम झटका लगा है 

Lakhimpur Kheri Prabhat Murder Case: लखीमपुर खीरी से भारतीय जनता पार्टी के सांसद केन्द्रीय गृह मंत्री अजय मिश्रा टेनी (Ajay Mishra Teni) और उनके पुत्र आशीष मिश्रा मोनू (Ashish Mishra Monu) को कहीं से भी राहत नहीं मिल रही है।

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को सुप्रीम कोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है,बताया जा रहा है कि प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टेनी की केस ट्रांसफर की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। मामले में अंतिम सुनवाई अब इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में ही होगी

इस बाइस साल पुराने हत्या मामले की लगातार सुनवाई टलती रही है। दरअसल, इस केस में टेनी सहित चारों आरोपियों को लोअर कोर्ट ने 2004 में बरी कर दिया था। इसके बाद प्रभात गुप्ता के परिवार के लोगों ने केस को लेकर हाईकोर्ट में अपील कर दी गई। 2004 से लेकर 2018 तक इस केस की सुनवाई हाईकोर्ट में हुई। मार्च 2018 में कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था… लेकिन फिर एंट्री हुई तिकुनिया कांड की .. जिसमे अजय मिश्रा का बेटा आशीष मिश्रा मुख्य आरोपी बना और मुश्किलों में आ गए टेनी साहब.. और खुल गई पुरानी फाइल…. चार वर्ष आदेश सुरक्षित रहने के बाद 5 अप्रैल 2022 को जस्टिस रमेश सिन्हा और सरोज यादव की बेंच ने आदेश किया कि 16 मई 2022 को केस की अंतिम सुनवाई की जाए। जिसके बाद से 17 सितंबर तक सात बार तारीख पड़ चुकी है लेकिन किसी न किसी वजह से फैसला नहीं आ सका है..यानि टेनी ने वो सारे प्रयत्न किया कि कैसे भी मामला टलता जाए…. लेकिन अब कहा जा रहा है कि 10 नवंबर की तारीख अंतिम तारीख है फैसले की


मंत्री की तरफ से की गई थी अपील ,सर्वोच्च न्यायलय ने कर दिया ख़ारिज

मंत्री की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी पर सुनवाई के बाद ही राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई की गुजारिश की गई थी। इसके मद्देनजर न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रेनू अग्रवाल की खंडपीठ ने मामले में अगली सुनवाई की तिथि 10 नवंबर को नियत कर दी। 

क्या है प्रभात गुप्ता हत्याकांड मामला?

गौरतलब है कि कि लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रनेता रहे प्रभात गुप्ता की आठ जुलाई 2000 को लखीमपुर खीरी के तिकोनिया में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसमें अजय मिश्र टेनी समेत चार लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया था। लखीमपुर की एक अदालत ने 29 मार्च 2004 को टेनी को दोषमुक्त कर दिया था। इसके खिलाफ मृतक के पिता संतोष गुप्ता ने उच्‍च न्‍यायालय में याचिका दाखिल कर जिला न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी।

16 मई, 2022 वह तारीख थी जिसमें तय होता कि अजय मिश्र टेनी प्रभात हत्याकांड में दोषी हैं या नहीं। बहरहाल किन्हीं कारणों से इस दिन सुनवाई टली तो फिर टलती चली गई। अब इस केस में 6 सितंबर 2022 की तारीख पड़ी 

बीते 10 अक्टूबर को प्रभात हत्याकांड के वादी राजीव गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की याचिका को 14 अक्टूबर को एक साथ सुनने का आदेश दिया था। उस दिन चीफ जस्टिस यूयू ललित समेत जस्टिस हेमंत गुप्ता को केस की सुनवाई करनी थी। चूंकि उसी दिन हेमंत गुप्ता का रिटायरमेंट था तो केस की सुनवाई टल गई थी। इसी बीच 17 अक्टूबर को लखनऊ हाईकोर्ट में केस की सुनवाई लगी थी। जिसमें अगली डेट 10 नवंबर दी गई थी। आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 10 नवंबर को अंतिम सुनवाई करने का निर्देश जारी किया है

इससे पहले 6 सितंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टेनी को फटकार भी लगाई थी। मंत्री के वकील ने केस ट्रांसफर करने की एप्लिकेशन चीफ जस्टिस के यहां लगाने की जानकारी दी 

 

मंत्री अजय मिश्रा टेनी को सबक सिखाने के लिए 22 साल से लड़ रहे केस, दर्द भरा रहा सफर

प्रभात गुप्ता के छोटे भाई राजीव गुप्ता 

न्याय का इंतजार कर रहे पिता की मौत हो गई ,मामले में सरकार भी पड़ गई थी ढीली,14 साल से लखनऊ बेंच में चल रही सुनवाई 

कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुई तो 5 जनवरी 2001 को हाई कोर्ट में जस्टिस डीके त्रिवेदी की बेंच ने अजय मिश्रा को मिले अरेस्ट स्टे को खारिज कर दिया. इस बीच, न्याय के इंतजार में प्रभात गुप्ता के पिता संतोष गुप्ता की मौत हो गई तो केस की पैरवी प्रभात गुप्ता के छोटे भाई राजीव गुप्ता ने शुरू की. हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच से अरेस्ट स्टे खारिज होने के बाद भी लखीमपुर पुलिस ने अजय मिश्रा को गिरफ्तार नहीं किया.

इस पर राजीव गुप्ता ने एक बार फिर हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में गुहार लगाई, उसके बाद 10 मई 2001 को हाई कोर्ट में जस्टिस नसीमुद्दीन की बेंच ने अजय मिश्र को अरेस्ट करने का ऑर्डर दिया. हाई कोर्ट से गिरफ्तारी के आदेश हुए तो डेढ़ महीने बाद 25 जून 2001 को अजय मिश्रा ने एडीजे की कोर्ट में सरेंडर कर दिया, लेकिन 25 जून को सरेंडर करते ही एक डॉक्टर की रिपोर्ट के आधार पर अजय मिश्रा को बीमार बताकर अस्पताल भेज दिया गया और अगले ही दिन 26 जून को सेशन कोर्ट से जमानत मिल गई..

पुलिस की तरफ से चार्जशीट दाखिल होने के बाद लखीमपुर कोर्ट में प्रभात गुप्ता मर्डर केस का ट्रायल शुरू हुआ और 29 अप्रैल 2004 को अजय मिश्रा समेत सभी आरोपी निचली अदालत से बरी हो गए. अमूमन, निचली अदालत से हत्या जैसे केस में सभी आरोपियों के बरी होने पर हाई कोर्ट में अपील करने वाली सरकार इस मामले में ढीली पड़ गई. 

निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करने के लिए राज्यपाल को आदेश देना पड़ा. राज्यपाल ने 9 जून 2004 को आदेश देकर हाई कोर्ट में इस मामले की अपील करने का आदेश दिया. हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में इस पूरे मामले में दो अपील दाखिल हुई. एक राज्यपाल के आदेश पर सरकार की तरफ से दाखिल हुई और दूसरी अपील पिता संतोष गुप्ता की तरफ से राजीव गुप्ता ने रिवीजन की अपील दाखिल की.

2004 से 12 मार्च 2018 तक पूरे 14 साल तक इस केस की सुनवाई हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में हुई. 14 साल की लंबी सुनवाई के बाद जस्टिस डीके उपाध्याय और डीके सिंह की बेंच ने सुनवाई पूरी की तो आदेश सुरक्षित रख लिया. सुप्रीम कोर्ट का निर्देश है किसी भी सुरक्षित रखे गए ऑर्डर को 6 महीने में फैसला दे दिया जाए. अगर वह बेंच फैसला नहीं देती है तो ऑर्डर सुरक्षित रखने वाली बेंच वो फैसला नहीं देगी.

मार्च 2018 से हाई कोर्ट का सुरक्षित निर्णय नहीं आने पर 9 महीने बाद प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता ने फिर अपील की. 5 अप्रैल 2022 को जस्टिस रमेश सिन्हा और सरोज यादव की बेंच ने 16 मई 2022 को अब इस मामले में अंतिम तारीख तय की है. माना जा रहा है कि 16 मई की तारीख प्रभात गुप्ता मर्डर केस में अहम हो सकती है. इस मामले में निचली अदालत से बरी होने के बाद अब हाई कोर्ट से भी अजय मिश्रा के भविष्य का फैसला तय हो जाएगा

यह प्रभात गुप्ता की पुरानी तस्वीर है, इसमें वह अपने साथियों के साथ नजर आ रहे हैं

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