मकर संक्रांति 2024 के दिन वापस आएगा ‘रामराज’,मुख्य भवन में रामलला होंगे  विराजमान

 हिंदुत्व का सपना होगा साकर ,रामलला बनेंगे सरकार 

मकर संक्रांति 2024 के दिन वापस आएगा ‘रामराज’

मुख्य भवन में रामलला होंगे  विराजमान

अयोध्या : प्रदेश सरकार के मंशा के अनुरूप अयोध्या के श्री राम कॉरिडोर बनाये जाने के पहले चरण में तीन प्रमुख सड़कों को तैयार किए जाने का कार्य प्रारंभ किया जाएगा है। जिसमे पहले सुग्रीव किला से राम जन्मभूमि तक और श्रृंगार घाट हनुमानगढ़ी से राम जन्मभूमि तक के मार्ग को 6 माह के अंदर तैयार कर दिया जाएगा। तो वही सहादतगंज से नया घाट तक के मुख्य मार्ग को भी चौड़ीकरण कर यात्रियों की सुविधा के अनुकूल बनाया जाएगा। लेकिन जब अयोध्या में भगवान श्री रामलला मकर संक्रांति 2024 के दिन अपने मुख्य भवन में विराजमान होंगे। और इस दौरान लाखों की संख्या में लोग रामलला का दर्शन करने पहुंचेंगे। तो क्या व्यवस्था होगी।

अयोध्या के सड़कों पर चलेंगे इलेक्ट्रिक वाहन-

अयोध्या में भगवान श्री राम के भक्त मंदिर का निर्माण हो रहा है। दिसंबर 2023 तक तैयार किए जाने के साथ ही लाखों की संख्या में भक्त अयोध्या पहुंचेंगे इसको देखते हुए योगी सरकार ने तैयारी शुरू कर दी है। अयोध्या आने वाले यात्री व पर्यटकों के लिए एयरपोर्ट का निर्माण चल रहा है जून इसे प्रारंभ भी कर दिया जा सकता है तो वही अयोध्या रेलवे स्टेशन भव्य बनाया गया है दोहरी लाइन का कार्य भी किया जा रहा है। इसके साथ ही सड़क मार्ग को भी तैयार किया जा रहा है अयोध्या में 6 पार्किंग बनाई जा रही है। जहां पर गाड़ियों को खडा करने के बाद इलेक्ट्रिक वाहन से श्रद्धालु अयोध्या में प्रवेश करेंगे।

यात्री सुविधाओं से लैस होगा राम जन्मभूमि तक जाने वाली सभी मार्ग-
भव्य मंदिर निर्माण के कार्य को पूरा किए जाने के पहले राम जन्मभूमि परिसर से जुड़ने वाले मार्गों को चौड़ीकरण कर यात्री सुविधा युक्त बनाए जाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है तो वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन मार्गों को तैयार करने की समय सीमा भी निर्धारित कर दिया है। सुग्रीव किला से रामजन्मभूमि तक के जन्मभूमि पथ को मार्च तक वही श्रृंगार घाट हनुमानगढ़ी से राम जन्मभूमि तक के भक्ति पथ को अक्टूबर तक और सहादत गंज से नया घाट तक के श्री राम पथ को दिसम्बर 2023 तक तैयार किए जाने का निर्देश दिया है। और इन मार्गों पर पैदल पथ, वाटर ड्रेनेज, बस शोल्डर, ई टॉयलेट, बैठने की व्यवस्था व कूड़ा दान सहित अन्य कई सुविधाएं भी बनाये जाएंगे।

जन्मभूमि पथ, भक्ति पथ और राम पथ को तैयार पर शुरू हुआ कार्य-

अयोध्या के मंडलायुक्त नवदीप रिणवा ने कहा कि तीन सड़कों को शासन ने स्वीकृत की है पहला सहादतगंज से नयाघाट तक लगभग 13 किलोमीटर जिसको रामपथ कहा जाता है पीडब्ल्यूडी इसको बनाएगा इसका टेंडर जल्द ही निकलेगा एक बार फाइनल टेंडर निकलने के बाद एक डेढ़ साल के अंदर यह कंप्लीट होगा क्योंकि बड़ा प्रोजेक्ट है दो सड़क और है जो श्री राम मंदिर तक जाएगी एक तो सुग्रीव किला से लेकर राम जन्मभूमि और दूसरी हनुमानगढ़ी से राम जन्मभूमि तक यह दोनों सड़कें जल्द बन जाएंगी दोनों सडके 1 साल के अंदर रेडी हो जाएंगे यह सड़क बनने के बाद राम भक्तों के लिए अपने आराध्य का दर्शन करने के लिए बहुत आसान हो जाएगा साथ ही सुविधाजनक हो जाएगा बाहर से जो पर्यटक आएंगे उनके लिए और आसपास क्षेत्र के लोगों के लिए लगभग 20 मीटर चौड़ी सड़कों पर यात्रियों के लिए प्रसाधन की सुविधा पीने के पानी की सुविधा यात्री छाजन की सुविधा नालियां अंडरग्राउंड होंगी बनकर तैयार होगा तब बहुत अच्छा दृश्य दिखेगा

राम मंदिर का इतिहास 

हिन्दुओं की मान्यता है कि श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था और उनके जन्मस्थान पर एक भव्य मन्दिर विराजमान था जिसे मुगल आक्रमणकारी बाबर ने तोड़कर वहाँ एक मस्जिद बना दी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई में इस स्थान को मुक्त करने एवं वहाँ एक नया मन्दिर बनाने के लिये एक लम्बा आन्दोलन चला।

साल 1528: मुगल बादशाह बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने (विवादित जगह पर) एक मस्जिद का निर्माण कराया

इसे लेकर हिंदू समुदाय ने दावा किया कि यह जगह भगवान राम की जन्मभूमि है और यहां एक प्राचीन मंदिर था।

हिंदू पक्ष के मुताबिक मुख्य गुंबद के नीचे ही भगवान राम का जन्मस्थान था। बाबरी मस्जिद में तीन गुंबदें थीं

साल 1853-1949 तक: 1853 में इस जगह के आसपास पहली बार दंगे हुए। 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित जगह के आसपास बाड़ लगा दी। मुसलमानों को ढांचे के अंदर और हिंदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत दी गई।

साल 1949: असली विवाद शुरू हुआ 23 दिसंबर 1949 को, जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गईं। हिंदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं, जबकि मुसलमानों ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दीं। यूपी सरकार ने मूर्तियां हटाने का आदेश दिया, लेकिन जिला मैजिस्ट्रेट (डीएम) केके नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं के भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई। सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया।

साल 1950: फैजाबाद सिविल कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की गई। इसमें एक में रामलला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे में भगवान राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई। 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की।

साल 1961: यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर विवादित जगह के पजेशन और मूर्तियां हटाने की मांग की।

 साल 1984: विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाने के लिए 1984 में विश्व हिंदू परिषद ने एक कमिटी गठित की।

 साल 1986: यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला जज केएम पांडे ने 1 फरवरी 1986 को हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए ढांचे पर से ताला हटाने का आदेश दिया।

6 दिसंबर 1992: वीएचपी और शिवसेना समेत दूसरे हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया। देश भर में सांप्रदायिक दंगे भड़के गए, जिनमें 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।

साल 2002: हिंदू कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही ट्रेन में गोधरा में आग लगा दी गई, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई। इसकी वजह से गुजरात में हुए दंगे में 2 हजार से ज्यादा लोग मारे गए।

साल 2010: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच 3 बराबर-बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।

साल 2011: सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई।

साल 2017: सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया। बीजेपी के शीर्ष नेताओं पर आपराधिक साजिश के आरोप फिर से बहाल किए।

8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। पैनल को 8 सप्ताह के अंदर कार्यवाही खत्म करने को कहा।

1 अगस्त 2019: मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की।

2 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा।

6 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई।

16 अक्टूबर 2019: अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।

9 नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया। 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली। मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश।

25 मार्च 2020: तकरीबन 28 साल बाद रामलला टेंट से निकल कर फाइबर के मंदिर में शिफ्ट हुए।

5 अगस्त 2020: राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम। पीएम नरेंद्र मोदी, आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और साधु-संतों समेत 175 लोगों को न्योता। अयोध्या पहुंचकर हनुमानगढ़ी में सबसे पहले पीएम मोदी ने किया दर्शन। राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल।

   

बीजेपी का प्रयास,हिंदुत्व की आस, मुख्य भवन में रामलला होंगे  विराजमान

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