उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में कल 18 फरवरी से विधानसभा का बजट सत्र होने जा रहा है। विधानसभा सत्र के लिए 2 विधेयक और 30 विधायकों के 521 सवाल विधानसभा अध्यक्ष को मिल चुके हैं। विधानसभा सत्र के दौरान बोर्ड परीक्षाएं भी हो रही हैं ऐसे में पुलिस को यातायात और अन्य व्यवस्थाएं बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं। विधानसभा के बजट सत्र को पेपरलैस बनाने की बात कही जा रही है, लेकिन अभी तक पूरी तरह डिटिजल सदन बनने में समय लगेगा। सूत्रों के अनुसार विधानसभा सत्र के लिए सबसे अधिक सवाल भाजपा के ही विधायकों के आए हैं। ऐसे में कहीं न कहीं विधानसभा सत्र के दौरान भाजपा के विधायक अपनी सरकार को सदन में घेरने वाले हैं। भाजपा जहां इसे अपने विधायकों की सक्रियता बता रही है वहीं कांग्रेस का कहना है कि उनके कम विधायक हैं, इसलिए सवालों की संख्या कम होगी, लेकिन विपक्ष सड़क से लेकर सदन तक जनता के मुद्दों को उठाती रहेगी। सरकार जहां आम जन से बजट को लेकर राय ले चुकी है वहीं दूसरी ओर उक्रांद पहाड़ की समस्याओं के अनुरूप बजट होने की उम्मीद जता रहा है।
उत्तराखंड विधानसभा का सत्र 18 फरवरी से शुरू होने जा रहा है। इसके लिए जहां तमाम तैयारियां कर ली गई हैं, वहीं इस बार भाजपा पार्टी के कई विधायकों के सवाल सदन को हंगामेदार करने वाले हैं। दूसरी ओर विपक्ष विधानसभा सत्र गैरसैंण में नहीं करवाने के लिए सरकार पर तमाम सवाल उठा रहा है। इस बार बजट सत्र को जहां पेपर लेस करने की बात सरकार कर रही है, वहीं विपक्षी पार्टियां गैरसैंण में ही सत्र करवाने की मांग कर रही है। कांग्रेस का मानना है कि हमने बिना कुछ सुविधाओं के टैंट में भी गैरसैंण में बजट सत्र आयोजित करवाया। अब इतनी अवस्थापना सुविधाएं, विधानसभा भवन, ट्रांजिट हास्टल बनने के बाद भी सरकार गैरसैंण के साथ ‘गैर’ जैसा व्यवहार कर रही है। सीएम पुष्कर सिंह धामी के अनुसार विकसित भारत की ओर कदम बढ़ाने में उत्तराखंड का बजट पेश किया जाएगा। वहीं, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी के अनुसार विधानसभा का बजट सत्र कल से आयोजित होने जा रहा है। उन्हें 2 विधेयक और 30 विधायकों के 521 सवाल मिल चुके हैं। बजट सत्र के दौरान किसी को भी सदन में मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं है। जिन विधायकों को टैबलेट चलाने में दिक्कत होगी उनके लिए अधिकारी तैनात किए जा रहे हैं। वहीं, उक्रांद का मानना है कि इस बजट में उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र के विकास की बात की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि बजट सत्र आम लोगों की समस्याओं को दूर करने वाला होना चाहिए।
उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र इस बार देहरादून में ही आयोजित होने की सूचना के बाद विपक्ष हमलावर है। कांग्रेस का कहना कि इससे पहले गैरसैंण में भाजपा सरकार की ओर से घोषणा की गई थी कि हर बार बजट सत्र गैरसैंण में आयोजित किया जाएगा, लेकिन अब सरकार यहां सुविधाएं पूरी तरह चाक-चौबंद न होने के कारण विधानसभा सत्र आयोजित नहीं हो पाएगा। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी का एक बयान पहले सामने आया था कि वहां साउंड ईको होती है, इसलिए गैरसैंण में सत्र नहीं किया जाएगा। दूसरी ओर विपक्षी पार्टी कांग्रेस और यूकेडी इसे गैरसैंण के साथ सौतेला व्यवहार बता रहे हैं। जिन मुद्दों को लेकर उत्तराखंड राज्य बनाया गया था, कहीं न कहीं उसमें गैरसैंण को राजधानी बनाना सर्वोपरि मांग रही है। उक्रांद के अनुसार देहरादून में विधानसभा के बजट सत्र का वह विरोध करेगी। इस साल का पहला बजट सत्र होने के कारण यह कई माइनों में अहम माना जा रहा है। इस सत्र में सत्तासीन भाजपा सरकार के ही विधायकों के सबसे ज्यादा सवाल सदन में पूछे जा रहे हैं। भाजपा जहां इसे विधायकों की सक्रियता और जनता से जुड़े होने की बात कह रही है वहीं कांग्रेस विधानसभा में संख्या बल कम होने की बात कह रहा है।
देहरादून विधानसभा में कल मंगलवार से विधानसभा का बजट सत्र आयोजित होने जा रहा है। पहले जहां यह सत्र हर बार गैरसैंण में करवाने की बात कही गई, लेकिन सत्र अब देहरादून में किया जा रहा है। कहने को गैरसैंण प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी कही जाती है, लेकिन न यहां शायद ही आपको न कोई अधिकारी मिलेगा न नेता! यदा-कदा विपक्षी दलों के नेता यहां आते-जाते हैं, लेकिन जिस तरह से विधानसभा भवन और अन्य सुविधाओं का विकास गैरसैंण में किया गया है, उस लिहाज से यहां अफसर और नेता कम ही पहुंचते हैं। अब 18 फरवरी से होने जा रहे विधानसभा सत्र में विपक्ष इस मुद्दे को सदन में रख सकता है, लेकिन जिस तरह सरकारों ने जोर-शोर से इसे राजधानी बनाने की बात कही वह धरातल पर उतरते हुए नहीं दिख रही है। दूसरी ओर इस बार कहीं न कहीं भाजपा के ही विधायक अपनी सरकार के मंत्रियों को सदन में सबसे ज्यादा सवाल पूछते हुए नजर आ सकते हैं। देखना होगा कि विधानसभा के बजट सत्र में पक्ष और विपक्ष कौन-कौन से मुद्दों को उठाता है।